Tuesday, January 22, 2019

बेटे ने बीवी बना कर बेटी के सामने चोदा

Maa/ Mummy/ Mom

सभी पाठकों को मुझ प्रभा रांड का जिस्मानी प्रणाम स्वीकार हो.
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को इतना सराहा, उसके लिए आप सभी का अपने नंगे मम्मों से शुक्रिया अदा करती हूँ.
दोस्तो, अब आपको आगे की कहानी बताती हूँ.
तय समय के अनुसार हम सभी कलकत्ता जाने के लिए स्टेशन पहुंच गए और ट्रेन के आते ही उसमें बैठ गए. सोनू ने फर्स्ट एसी का पूरा केबिन बुक किया था तो हम सब आराम से बैठ गए, दोपहर का टाइम था खाना खाया और थोड़ी देर के लिए लेट गए.
करीब 5 बजे शाम को मेरी नींद टूटी, लेकिन सोनू और शिवानी अभी भी सो रहे थे और मैंने भी उन्हें नहीं जगाया. अब हम अपने शहर से काफी दूर आ चुके थे, ट्रेन में थे. मैंने सोचा कि क्यों न बेटे के जागने के पहले उसे सरप्राइज दे दूँ.
मैंने ऑनलाइन एक हॉट पेंट सफ़ेद रंग की मंगवाई थी, वो और एक लाल रंग का टॉप बिल्कुल पतले कपड़े का.. जिससे मेरी ब्रा साफ़ नज़र आ सके और हाई हील्स की सैंडिल मंगवाई थीं, तुरंत निकाल कर उस सबको पहन लिया और चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी.
करीब 6 बजे शिवानी जग गयी और उठते ही उसने मुझे नीचे से ऊपर तक घूरा जैसे कि मैं उसके लिए कोई अनजान औरत हूँ. लेकिन फिर उसने ध्यान से देखा और मुझसे कहा- मम्मी तुम तो पहचान में ही नहीं आ रही हो इन कपड़ों में, एकदम हीरोइन लग रही हो.

मुझे लगा था कि वो गुस्सा करेगी, लेकिन उसकी ऐसी बातें सुनकर मुझे हिम्मत बंधी और मैंने उससे कहा- बेटी, तेरे पापा के जाने के बाद तू तो जानती ही है, मैं कितनी ज्यादा दुखी रहने लगी थी, अब हम नए शहर में जा रहे हैं, तो सोचा कि थोड़ा मैं भी अपने मन की कर लूँ.. इस ज़िन्दगी में ख़ुशी ढूँढ लूँ.
इस पर शिवानी ने कहा- मम्मी मैं बस तुम्हें खुश देखना चाहती हूँ.. क्यूंकि मैंने तुम्हें हमेशा रोते हुए देखा है. तुम्हें जिसमें ख़ुशी मिले, तुम वो करो.. मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा. इसलिए मम्मी तुम्हें जो दिल करे वो करो, मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी.
अपनी बेटी के मुँह से अपने मन की बात सुनकर अन्दर ही अन्दर मैं बहुत खुश हो रही थी कि चलो मेरी बेटी मेरे मनमुताबिक बात कह रही है.

फिर मैंने शिवानी से कहा- बेटी, तेरे पापा के बाद अब तेरा भैया ही मुझे खुश करता है. अगर तुझे बाहर वालों के सामने अपने भैया को अपना पापा बोलना पड़े, तो बुरा तो नहीं लगेगा तुझे?
शिवानी- मम्मी मैं जानती हूँ और मैंने देखा भी है कि भैया आपको बहुत खुश कर देते हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.. अगर बाहर वालों के सामने मुझे भैया को पापा बोलना पड़ेगा तो मैं बोलूंगी.. बस आप खुश रहो मम्मी.
मैंने हिलकते हुए कहा- आह.. मेरी अच्छी गुड़िया बेटी.
और मैंने अपनी बेटी के माथे को चूम लिया.
करीब 6.30 में सोनू की नींद खुली और उठते के साथ उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने आंखें बड़ी की और मेरी गोरी गोरी जांघों को निहारने लगा. फिर उसने नज़र उठा के मेरे तने हुए बूब्स की तरफ देखा.
तभी शिवानी बोली- भैया मम्मी अच्छी लग रही है न.. हीरोइन के जैसे?
सोनू- हाँ मेरी बहन.. मम्मी एकदम हीरोइन लग रही है. अब थोड़ा चाय नाश्ता कर लिया जाए.

उसने चाय मंगवाई और हम तीनों ने चाय पी. अब सोनू ठीक मेरे सामने बैठ गया और अपने पैरों को मेरे पैरों से सहलाने लगा. थोड़ी देर बाद वो अब अपने पैरों से मेरे घुटने तक की टाँग को अपने पैरों से सहला रहा था.
तभी शिवानी बोल पड़ी- भैया, मम्मी तुम्हारे साथ बहुत खुश हों.. ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता है.
सोनू- हाँ बहन, मैं भी मम्मी को खुश रखने की पूरी कोशिश करता हूँ.
इतना कहकर सोनू ने अपने पैर मेरी गोद में रख दिए.
इन्हीं सब बातों में 8 बज गए और रात का खाना आ गया. हम सब हाथ धोकर खाने बैठे, तभी शिवानी ने कहा- मम्मी मैंने तुम्हें उस दिन भैया की गोदी में बैठ के खाते छुप के देखा था. तुम्हें वैसे अच्छा लगता है न खाना?
मैं थोड़ी सकपका गयी कि तभी शिवानी बोल पड़ी- मम्मी तुम हमेशा भैया की गोदी में बैठ कर ही खाना खाया करो.

यह सुनते ही सोनू ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपने ओर खींच कर मुझे अपनी जांघों पे बिठा लिया. शिवानी ने चुपचाप अपनी प्लेट उठायी और ऊपर वाली बर्थ पे जाकर बैठ गयी.
मैंने खिड़की के पर्दो लगा लिए और सिर्फ रीडिंग लाइट जला दी. सोनू ने सिर्फ बॉक्सर और टीशर्ट पहना था. उसका खड़ा लौड़ा मुझे मेरी गांड में महसूस हो रहा था.
सोनू ने कहा- मम्मी तुम लेट जाओ. मैं खाने का निवाला तुम्हारी जांघों से चाट चाट के खाना चाहता हूँ.
तभी मैंने कहा कि ठीक है.. तुम मेरे बदन पे निवाला रख कर खाओ.. लेकिन मैं तुम्हारे लौड़े पे रखा निवाला ही अपने मुँह में लूँगी.
इतना कहते ही मेरी आँखों में हवस उतरने लगी और मैं चुपचाप लेट गयी अब सोनू ने रोटी और सब्जी का पहला निवाला मेरी नाभि पे रखा और चाटने लगा. फिर धीरे धीरे पूरे पेट पर टॉप उठा कर और फिर मेरी जांघों पर रख कर खाना खाया.
इसके बाद सोनू खड़े होकर अपने लौड़े पे खाने का निवाला रखता जाता और मैंने उस निवाले को मुँह में लेने के लिए उसके लंड को भी चूसती जाती और निवाला भी खाती जाती.

इस तरह से हम दोनों ने खाना खाया और फिर सोनू ने रसगुल्ले निकाले और मुझे खड़े होने के लिए बोला.
मैं खड़ी हो गयी और सोनू ने अचानक से दो रसगुल्ले लेकर उन्हें हाथों से दबा के मेरी पैंटी में डाल दिए. हॉफ पेंट के ऊपर से ही रसगुल्ले मेरी चुत तक पहुंच गए. सोनू ने रसगुल्ले मसल दिए, जिससे उनका सारा रस मेरी सफ़ेद हॉट पेंट में साफ़ नज़र आने लगा और मेरी जांघों से उसका रस टपकने लगा, जिसे मेरा बेटा चाटने लगा.
तभी शिवानी भी खाना खा के नीचे आ गयी. हम दोनों हड़बड़ा कर अपनी अपनी सीट पे बैठ गए. तभी वेटर आया और खाने की खाली प्लेट लेकर चला गया.
मेरी जवानी उफान मार रही थी तो मैंने खुद से केबिन की कुण्डी लगायी और शिवानी को कहा- बेटा, तुम्हारे भैया मुझे अब प्यार करेंगे.
तभी शिवानी बोली- मम्मी, ट्रेन में रहने दो.. इससे अच्छा कल शादी के बाद करना.. तुम्हें ज्यादा ख़ुशी होगी.
मुझे उसकी बातें न चाहते हुए भी माननी पड़ीं.

फिर हम लोग चुपचाप सो गए अपनी अपनी सीट पर मनमसोस कर लेट गई.
अगली सुबह 7 बजे हम कोलकाता पहुंच गए.
हम तीनों ट्रेन से उतरे और एक गाड़ी बुक की. सोनू ने पहले एक होटल में एक कमरा लिया, फिर नाश्ता कर के करीब 10 बजे हम मार्किट गए और वहां जाकर मैंने एक लहंगा लिया. सोनू ने पायजामा कुरता और शिवानी ने अपने लिए स्कर्ट और टॉप ख़रीदा.
फिर मिठाई और जयमाला का हार लेकर हम तीनों सीधे मंदिर पहुंचे, सोनू ने पहले से ही वहां विवाह की बुकिंग की हुई थी.
करीब बारह बजे हम मंदिर पहुंचे. कुछ समय बाद पंडित जी आए और पहले वर को यानि सोनू को बिठाया फिर थोड़ी देर बाद वधू को पुकारा, तो मैं जाकर सोनू के बगल में बैठ गयी.
करीब तीन घंटे पूजा के बाद पंडित जी ने सोनू ने मंगलसूत्र पहनाने को कहा, तो शिवानी ने सोनू को मंगलसूत्र दे दिया और सोनू ने प्यार से मेरे गले में पहना दिया. फिर कुछ मन्त्रों के बाद पंडित जी के कहने पर सोनू ने मेरी मांग में अपने नाम का सिंदूर भर दिया.
अपने ही बेटे की बीवी बन के मुझे अन्दर ही अन्दर अजीब भी लग रहा था, लेकिन फिर अपनी ख्वाहिश का सोच कर अच्छा भी लगा कि चलो नया शहर है, यहाँ तो कम से कम अपनी ज़िन्दगी जी लूँ.
करीब छह बजे शादी संपन्न हुई, पंडित जी ने अपनी दक्षिणा ली और हमे आशीर्वाद दिया.
हम फिर होटल आए, वहां होटल वालों ने स्वीट सुहागरात के लिए गुलाब के फूलों से कमरा सजाया हुआ था.
हम तीनों ने पहले खाना खाया और शिवानी ने कहा- मम्मी, मैं आपकी और पापा की सुहागरात देखना चाहती हूँ.
मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हुई.. तभी सोनू ने कहा- ठीक है.. तू सोफे पे बैठ के सब देखना.
अब हम कमरे में आ गए दरवाज़े की कुण्डी लगायी और बेड पर आकर बैठ गए. सोनू ने पहले से ही बियर मंगवाई हुई थी, सो हमने पहले पीने की सोची.
शिवानी वहीं सोफे पे बैठ के हमारी फोटो खींच रही थी और हमारी यादों को यादगार बनाते हुए वीडियो बना रही थी.
सोनू ने मुझे खड़ी होने को कहा, मैं खड़ी हो गयी तो सोनू ने मेरी गांड पकड़ कर मेरी नाभि में जीभ डाल दी और चाटने लगा. उसने मेरी कमर पे दांत से काटा, जिससे मैं नीचे से ऊपर तक सिहर गयी और मैंने आंखें बंद कर लीं.
तभी सोनू ने शिवानी को बोला- शिवानी थोड़ी हेल्प कर दे.
शिवानी फटाफट आयी, सोनू ने कहा कि धीरे धीरे ये बोतल से बियर अपनी मम्मी के लहंगे में डालती जाना.. एकदम धीरे धीरे नाभि के नीचे से डालना.
शिवानी ने तुरंत ही मेरी नाभि के नीचे से बियर गिरानी शुरू कर दी और तभी सोनू अचानक से मेरे लहंगे में घुस गया. वो मेरी जांघें पकड़ कर अन्दर ही बैठ गया.. और उसने मेरी चुत पे मुँह रख कर और पैंटी के ऊपर से चुत चूसना शुरू कर दिया.
मेरी हवस की आग ने दस्तक दे दी. मुझसे अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था. मेरी चुत में पानी भी आ रहा था और मेरा बेटा बियर में सनी हुई मेरी चुत के पानी का मिश्रण को चूस चूस कर पी रहा था. मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
आधी बोतल ख़त्म हुई ही थी कि सोनू ने मेरी चुत पे दांत से काटा और दांतों से ही पकड़ के मेरी पैंटी खींच के उतार दी. अब सीधा मेरी चुत में सोनू ने अपनी जीभ घुसा दी और मेरी चुत को अपने मुँह में भर के चूस रहा था. चूस क्या रहा था.. वो चूत खा रहा था.
मैंने अपने हाथ शिवानी के कंधे पे रखे हुए थे और शिवानी बियर उड़ेल रही थी. अपनी माँ की चुदाई में वो बहुत मदद कर रही थी.
एक बोतल खाली होते होते मेरी चुत में आग लग चुकी थी. तभी सोनू मेरे लहंगे से बाहर निकला और वो मुझे कसके पकड़ते हुए चूमने लगा. वो मेरे होंठों को चूस रहा था, मेरी जीभ चूस रहा था.
फिर वो मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर कस कस के मसलते हुए मेरे होंठों को चूस रहा था. उसने एकाएक मेरी चोली पीछे से खोल दी. अब मैं अपने बेटे के सामने सिर्फ लाल ब्रा में आ गयी थी.
शिवानी फिर से हमारी फोटो खींचने में लग गयी. मैंने सोनू का मुँह पकड़ा और अपने मम्मों में घुसा कर रगड़ने लगी. तभी शिवानी ने चुपके से आकर पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. मेरे निप्पल्स तन चुके थे और एक एक करके मेरा बेटा, जो अब मेरा पति बन चुका था, वो उन्हें दांत से काट रहा था.. फिर चूस रहा था.
तभी मुझे महसूस हुआ कि सोनू ने मेरे लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया और मेरा लहंगा एक झटके में नीचे आ गया. अब मैं पूरी नंगी हो चुकी थी.
सोनू ने मुझे अपनी गोदी में उठाया और बेड पे पटक दिया. साथ ही वो खुद भी सारे कपड़े निकाल चुका था. उसका मोटा लम्बा लौड़ा देख के मेरी चुत से पानी का झरना बहने लगा, मैंने तुरंत ही बैठ कर उसका लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में लेकर लंड चूसने लगी.
सोनू ने एक हाथ से मेरे चूचे पकड़े.. दूसरे हाथ से मेरे बाल और अपने मोटे मूसल जैसे लौड़े से मेरा मुँह चोदने लगा. मैं भी उसके लौड़े को अपने गले तक लेकर अपना मुँह अपने ही बेटे से छिनाल के जैसे चुदवा रही थी.
करीब 15 मिनट तक अपना मुँह ढंग से चुदवाने के बाद अब मेरी चूत चुदवाने के लिए जैसे तड़प रही थी.
मुझे शुरू से ही गाली सुनते हुए चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता था, तो मैंने सोनू से कहा- पतिदेव हो गए हैं आप मेरे.. अपनी बीवी को गन्दी से गन्दी गालियां दीजिये.. ताकि मेरे जिस्म का एक एक अंग जोश से भर जाए और मैं आपको पूरा मज़ा दे सकूं.
तभी शिवानी बोल पड़ी- सोनू भैया.. सॉरी पापा.. मम्मी को खूब खुश कर देना आज.. जो बोले वो करो आप.
सोनू- साली कल तक सती सावित्री मेरी मम्मी थी.. और आज से मेरी पत्नी है. तुझे तो चोद चोद के मार डालूंगा साली रांड.
यह सुनते ही मेरी चूत से झरने का बहना शुरू हो गया और मैंने कहा- आओ मेरे पति देव.. साले अपनी बीवी की चूत में अपना मोटा मूसल डाल के मेरी आग ठंडी करो.. लेकिन उससे पहले मैं चाहती हूँ कि तू पहले मेरी गांड भी मार ले.
मेरा इतना कहना था कि सोनू ने मुझे झट से कुतिया बना दिया और और झट से बिना देर किए मेरी गांड में अपना मोटा मूसल लंड एक ही बार में पेल दिया.
मैं दर्द से चीख पड़ी लेकिन तभी सोनू ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. वो हाथों से मेरे कंधे को पकड़ के मेरी गांड कस कस के चोदे जा रहा था. मेरा ही अपना बेटा मेरी गांड मार रहा था.
करीब बीस मिनट तक मेरी गांड पे चांटे मारते हुए गांड मरवा के मुझे थोड़ी सी भी शांति नहीं मिली, उलटे चुदवाने की आग और धधक गयी.
मैं- अरे मादरचोद, अब मेरी चूत भी तो चोद साले भड़वे … तभी तो पक्का मादरचोद बनेगा तू, बस पति बनने से नहीं होता है अपनी बीवी को रांड की तरह कस के चोदना पड़ता है भोसड़ी के.
मेरा इतना कहना था कि सोनू ने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर लेट के सीधा अपना लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया. माँ कसम मुझे लगा कि मैं जन्नत में हूँ.
सोनू- साली रांड की औलाद.. छिनाल तुझे तो नंगी करके घुमाऊंगा.. मैं बाहर भी पेलूँगा तुझे.. आज तो बस सुहागरात की चुदाई है.. कल से दिन रात तुझे चोदता ही रहूँगा साली कुतिया.. ले लंड खा.
मैं- और कस कस के धक्के मार मादरचोद..
मैंने दोनों पैर उसके कंधे पे रख दिए ताकि उसका लौड़ा मेरे बच्चेदानी को छू ले.
सोनू- साली आज ही गर्भवती भी करूँगा मैं तो तुझे कुतिया बनेगी न मेरे बच्चे की माँ.. साली कुतिया?
मैं- हाँ मेरे हरामी मरद.. बनूँगी ही तेरे बच्चे की माँ.. रंडी बना दे मुझे बेटे एकदम खुली रांड बना दे.
मेरे बेटे सोनू ने करीब चालीस मिनट तक मुझे चोद चोद के मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया.
सोनू- अब गिरने वाला है साली प्रभा, तेरी चूत में ही गिराऊंगा माँ की लौड़ी.
मैं- गिरा दे बेटा.. अब तो पति है तू मेरा जो दिल करे, कर मेरे साथ.. मेरा भी गिर रहा है आह..
और तभी मेरा और सोनू का साथ में ही गिर गया और हम वैसे ही सो गए. सोनू मेरे ऊपर लौड़ा बिना निकले ही पड़ा था.
करीब दो घंटे बाद मैं पेशाब करने उठी तो देखा शिवानी सिर्फ अपनी पैंटी के अन्दर हाथ घुसा कर सोई पड़ी है. मुझे हंसी आ गयी, पर मैंने किसी से कुछ नहीं कहा और फिर चुपचाप आकर सो गयी.
अगले दिन हम नए फ्लैट में शिफ्ट हो गए.
तो दोस्तो, आपको कहानी का ये भाग कैसा लगा, कृपया मुझे मेल कर के बतायें!
maakirasilibur@gmail.com
आपकी अपनी प्रभा रांड


Sunday, January 20, 2019

माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई-2

Maa/ Mummy/ Mom


मेरी गीली चूत से सभी पाठको को आपकी प्रभा का सेक्स भरा नमस्कार!
दोस्तो, अपने मेरी पिछली कहानी
माँ बेटा सेक्स: बेटे ने मेरी हवस मिटाई
को इतना पसंद किया उसके लिए आप सभी का अपने जिस्म से शुक्रिया अदा करती हूँ.
तो मेरी पिछली कहानी में आप लोगों ने देखा कि कैसे मुझ विधवा की प्यासी जवानी की जलती आग को मेरे बेटे सोनू ने शांत किया.
अब आगे की कहानी पढ़िए!
उस रात के बाद अब हम दोनों माँ बेटे खुल चुके थे पूरी तरह से! अगले दिन मैं दूकान चली गयी और बेटा कॉलेज चला गया, दिन एकदम सामान्य रोज़ की तरह गया.
लेकिन रात का नशा उतर नहीं रहा था, सच कहूँ तो मुझे पति से भी ज्यादा अपना बेटा पसंद आ रहा था क्योंकि छह फुट का जवान लड़का एकदम हट्टा-कट्टा अगर साथ में चले तो उसकी और मेरी उम्र से ज्यादा फर्क नहीं पता चलता!
खैर अब मुझे बदनामी का भी डर नहीं था चूँकि घर में ही सब मिल गया था मुझे!
शाम को करीब 9 बजे मैं दूकान बढ़ा कर घर आयी, शिवानी अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी और सोनू लैपटॉप में कुछ कर रहा था!
मैं उसके पास गयी और पूछा- क्या कर रहे हो बेटा?
सोनू- मम्मी मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय कॉल सेंटर में नौकरी मिली है कोलकाता में, महीने की तनख्वाह है छब्बीस हज़ार रुपये और इंसेंटिव अलग से!
मैंने- यह तो बहुत ख़ुशी की बात है बेटा!
सोनू- माँ, क्यों न हम लोग एक काम करें… यहाँ अब रहने का भी दिल नहीं करता, यह दूकान बेचकर हम कोलकाता ही शिफ्ट हो जाते हैं, मैं तुम और शिवानी! वहां खुलकर अपनी ज़िन्दगी जी भी पाएंगे हम लोग!
हालाँकि बात में दम तो था लेकिन मैं ससुराल वालों की वजह से थोड़ी हिचक रही थी, मैंने सोनू से कहा- बेटा सोचते हैं इस बारे में! इतनी जल्दी तो कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता.
इसके बाद मैंने सोनू से कहा- तुम्हें चिकन बहुत पसंद है न?
सोनू- हाँ मम्मी
शिवानी भी बोली- हाँ माँ, आज चिकन बनाया जाए!
मैंने सोनू को अंदर के कमरे में बुलाया और उसे पैसे दिए और कहा- बेटा, चिकन ले आओ, मैं बना देती हूँ!
इस पर सोनू मुस्कुराया और पैसे लेकर बाहर चला गया.
थोड़ी देर में सोनू चिकन लेकर आ गया, मैंने चिकन बनाया और सबसे पहले शिवानी को खिला दिया.
खाना खाने के बाद वो सोने चली गयी हॉल में!
फिर मैंने सोनू से कहा- बेटा, तुम अंदर के कमरे में चिकन लेकर जाओ, मैं अभी आती हूँ!
सोनू अंदर चला गया, घर का सारा काम कर के मैं भी अंदर कमरे में आयी. सोनू बेड पे लेटा हुआ था और चिकन बेड पे ही रखा हुआ था.
मैं भी बेड पर बैठ गयी.
जब तक सोनू के पापा थे, चिकन के साथ एक दो पेग दारू जरूर पीते थे और मुझे भी पिलाते थे.
चिकन तो दिख रहा था लेकिन कुछ कमी लग रही थी और मैं अपने बेटे से दारू की कैसे कहूँ? यह सोच कर मैं सोच में डूबी हुई थी.
तभो सोनू ने कहा- मम्मी, क्या सोच रही हो? खाओ न चिकन, तुम्हें भी तो बहुत पसंद है!
मैं- बेटा, पसंद तो है लेकिन ऐसे सूखा सूखा कुछ अच्छा नहीं लग रहा!
सोनू तुरंत समझ गया और मुझसे तपाक से कहा- मम्मी, क्या तुम पीती भी हो?
मैं- बेटा जब तक तुम्हारे पापा थे, मुझे हमेशा ही पिलाते थे चिकन के साथ!
सोनू हंसने लगा और बोला- चलो, अब पीने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं … मैं लेकर आता हूँ अभी!
मैंने कहा- नहीं, रहने दे बेटा, अब कहाँ जायेगा!
इस पर वो बोला- अरे माँ, तुम चिंता न करो, मैं अभी लेकर आता हूँ, पीने के बाद रात वाला नशा फिर से चढ़ेगा और जबरदस्त!
सोनू बाहर गया और थोड़ी ही देर में एक ब्लेंडर्स प्राइड की बोतल ले आया, साथ में सोडा भी!
जब तक सोनू बाहर था तो उसे लुभाने के लिए मैंने अपनी पुरानी स्कर्ट और टॉप पहन ली जो सोनू के पापा मुझे पहनाया करते थे सेक्स करने के पहले! लेकिन ऐसे कपड़े पहन कर कभी कमरे से बाहर नहीं गयी थी मैं!
सोनू अंदर आकर बेड पे बैठा और मेरी गोरी चिकनी जाँघें निहारने लगा. मैं समझ गयी कि इसे मेरा बदन बहुत पसंद आ रहा है.
मैं उठी और दो गिलास और बर्फ लेकर आ गयी.
अब हम दोनों मम्मी बेटा बेड पे बैठ गए और मैंने पेग बनाया पटियाला … उसमें बर्फ डाली और सोनू को कहा- मुझे नहीं लगता कि हमें दो गिलास की जरूरत है. एक से ही हम दोनों पियें तो?
सोनू का लौड़ा फनफना के खड़ा हो चुका था, उसने अंडरवियर नहीं पहना था तो मैं साफ़ देख के महसूस कर पा रही थी सोनू के लन्ड को!
मैं समझ गयी कि बेटा अब गर्म हो रहा था. तो पेग उठा कर और एक हाथ में चिकन का लेग पीस लेकर मैं सोनू की जांघों पर बैठ गयी. पहले उसे चिकेन खिलाया, फिर घूँट घूँट कर के उसे पिलाने लगी और खुद भी उसी में से पी और खा रही थी.
बीच बीच में हम दोनों माँ बेटे एक दूसरे के होंठों को भी चूस रहे थे और सोनू ने हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसा रखा था और मेरे निप्पलों को मसल रहा था जिससे मैं अब धीरे धीरे गर्म हो रही थी.
एक पेग ख़त्म होने के बाद मैं दूसरे पेग उठाने के लिए उठी तो सोनू ने अपने सारे कपड़े खोल दिए और अपना खड़ा लन्ड मेरी स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी गांड के छेद पर भिड़ा दिया.
मेरे मुँह से आउच निकल गया, मैंने जानबूझ कर आज ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.
मैं पेग बना कर एक हाथ में चिकन लेकर खड़ी होकर अपने बेटे के मोटे मूसल लौड़े को देखने लगी. इतने में सोनू नीचे बैठ गया और मेरी स्कर्ट के अंदर घुस के मेरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा.
मैं कसने लगी थी, मेरी जवानी एकदम उफान मार रही थी, मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी अपने आप! मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने आधा पटियाला खुद ही पी लिया और बाकी अपनी स्कर्ट के अंदर डालने लगी जो मेरी चूत तक पहुंच रहा था और वहां से मेरे बेटे के मुँह में!
सोनू अब मेरी चूत से बहती हुई शराब और मेरी चूत के निकलते पानी का एक साथ मज़ा उठा रहा था.
थोड़ी देर बाद सोनू ने मेरी स्कर्ट खींच दी और अपनी ही माँ को नंगी कर दिया और खड़े होकर मुझसे लिपट गया. मैंने भी कस के पकड़ लिया अपने बेटे को और हम एक दूसरे को चूमने लगे थे पागलों के जैसे!
फिर सोनू ने कहा- मम्मी, तुम अपने पूरे नंगे बदन पर शराब गिरा के मुझे पिलाओ, तुम्हारी जाँघें चूसने का दिल कर रहा है!
यह सुनकर मैं और गर्म हो गयी और मैंने शराब अपनी जांघ पे गिरायी जिसे मेरा बेटा चाटता चला गया.
मैं खड़ी ही थी कि अचानक उसने मुझे किस किया और मुझे घुमा दिया और खुद नीचे बैठ गया और मेरी गांड के दोनों पल्लों पर किस करने लगा फिर दांत से काटा.
बेटे के द्वारा गांड पे दांत काटने और मेरी गांड को मसलने पर मेरी चूत से पानी नहीं बल्कि झरना बहने लगा था. मैंने कहा- सोनू बेटा, गांड मारेगा या चूत चोदेगा अपनी माँ की?
सोनू- मम्मी, आज सिर्फ तेरी चूत पेलूंगा मैं … और एक बात कहना चाहता हूँ मम्मी तुझसे … लेकिन एक शर्त है!
मैं- कैसी बात और कैसे शर्त? जो ख़ुशी तू मुझे दे रहा है उसके लिए मुझे तेरी सारी शर्तें और बातें मंजूर हैं. बता जो भी कहना है?
सोनू- रुक फिर … तेरी गांड भी मार ही लेता हूँ… तेरी गांड में अपना लौड़ा डालने के बाद तुझे चोदते हुए बताऊंगा!
मैं- ठीक है बेटा, ले बन गयी मैंने तेरी कुतिया, अब कुत्ता नहीं तू आज सांड बन के मेरी गांड चौड़ी कर दे मेरा राजा बेटा!
सोनू ने फिर मुझे पीछे से मेरी कमर को पकड़ा और एक ही बार में सरसरा के अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ दिया, मैं चीख पड़ी लेकिन नशे में थी तो दर्द महसूस नहीं हुआ.
अब सोनू मेरी गांड मारते हुए मुझसे बोला- मम्मी, तू मुझे बहुत पसंद है. कोलकाता चल, वहां हमे कोई जानता भी नहीं होगा. वहां ढंग से खुल के दिन रात तेरी जवानी की गर्मी उतारूंगा!
यह सुनकर मेरे जोश की कोई सीमा न रही क्यूंकि मैं दिन रात लन्ड चाहती हूँ अपनी चूत में! मैंने कहा- आअह्ह्ह बेटा, ठीक है! चल, जल्दी से जल्दी मैं भी अपनी जवानी एन्जॉय करना चाहती हूँ! लेकिन वहां अगर कोई पूछेगा तो तेरा बाप कौन है और तेरा मेरा रिश्ता क्या है तो क्या कहेंगे? क्यूंकि मैं जब ज्यादा जोश में आ जाऊँगी तो आवाज़ होगी और पड़ोसी जान जायेंगे!
सोनू- मम्मी साली, तू चिंता मत कर! एक तो बड़े शहर में किसी को किसी से मतलब नहीं होता. अगर कोई पूछेगा भी तो कह देना मैं ही तेरा पति हूँ. जरूरत पड़ी तो शादी कर लेना मुझसे कुछ साल के लिए ताकि तू और मैं दोनों अपनी जवानी के मज़े लूट सकें!
यह बोलकर सोनू ने मेरी गांड से अपना लौड़ा निकला और सीधा खड़े कर के मेरी चूत में पेल दिया और मेरी गांड पकड़ के मुझे गोदी में उठा लिया और मैंने भी तुरंत उसके कंधे पकड़ लिए और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे!
मैंने कहा- बेटा, तो फिर शर्म किस बात की? वहां कोई हमें पहले से जानता नहीं, तो क्यों न हम दोनों शादी कर लें ताकि समाज में कोई कुछ बोलेगा भी नहीं और हम आराम से मजे लूट सकते हैं. और जब तुझे अपनी सही वाली शादी करनी होगी तो किसी दूसरे सिटी में जाकर बस जायेंगे!
सोनू- एकदम सही कह रही हो तुम मम्मी, यही प्लान करते हैं जल्दी से जल्दी! लेकिन शिवानी को कैसे समझायेंगे?
मैं- उसे मैं समझा दूंगी, तुम चिंता न करो, वो सब समझती है अब, उसको मैं समझा दूंगी पर मुझे तुमसे भी एक चीज़ चाहिए!
अब सोनू ने मुझे बेड पे पटक दिया और मेरे दोनों पैर अपने कंधे पे रख कर मेरी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बनाने लगा और बोला- बोल न मम्मी, क्या चाहिए तुझे?
मैं- मुझे एक बच्चा चाहिए तेरा अपनी कोख में! पहले कुछ साल मेरी जवानी का रास निचोड़ अच्छे से उसके बाद बच्चा टिका देना मेरी कोख में!
इतना सुनते ही उसने मेरे दोनों बूब्स कस के मसल के मेरी चूत को फाड़ डालने के जैसे चोदने लग गया और बोला- मैं भी चाहता हूँ मम्मी कि तू मेरे बच्चे की मम्मी बने!
इतना सुनकर मैं भी अपनी गांड उठा कर अपने बेटे का पूरा साथ दे रही थी अपनी चूत को चुदवाने में और सोनू से कहा- बेटा, बर्बाद कर दे मेरी चूत को! आज इतना कस कस के चोद कि मैं बेहोश हो जाऊँ और मेरी चूत का भोसड़ा बना दे तू आज! चोद साले हरामी रंडी की औलाद, अपनी ही माँ को चोद रहा था है साले मादरचोद… और चोद मुझे! अपनी माँ की जन्म जन्म की जिस्म की आग बुझा दे रे हरामखोर!
मेरा जोश एकदम सातवें आस्मां पे था और शराब का नशा था सो अलग, सोनू भी नशे और जोश से लबालब भरा हुआ था, वो बोला- ले न मम्मी साली, एकदम रांड बना के छोड़ूँगा तुझे, ऐसे पेलूंगा जैसे तुझे पैसे देकर लाया हूँ और चोद चोद के पैसे वसूल करने हैं!
मैंने- हाँ बेटा चोद अपनी माँ की चूत… मज़े ले पूरे मेरी जवानी के!
थोड़ी ही देर में हम दोनों का एक साथ गिर गया मेरी चूत के अंदर ही! मैं तुरंत उठी और पेशाब करके आयी ताकि सोनू का सारा माल निकल जाए!
फिर हम दोनों नंगे ही सो गए और सुबह बहुत लेट उठे. तब तक शिवानी स्कूल जा चुकी थी. हम समझ गए थे कि उसने हम माँ बेटे को नंगे देख लिया है. लेकिन दारू के नशे के कारण हमारी नींद नहीं खुली!
खैर हमारे लिए तो बढ़िया ही था तो हम सुबह नाश्ता वगैरह करने के बाद प्लान बनाने में लगे हुए थे कि अब कोलकाता का प्रोग्राम कैसे क्या होगा और शिवानी को कैसे राज़ी किया जाए!
दो बजे गए और शिवानी स्कूल से आ गयी. वो चुपचाप अंदर आयी और अंदर से आवाज़ दी- मम्मी इधर आओ!
मैं तुरंत उसके पास गयी और पूछा- क्या हुआ बेटी, सुबह तुम बिना नाश्ते किये ही स्कूल चली गयी?
शिवानी- मम्मी, कल रात मैंने सब कुछ देखा था भैया जिस तरह से तुम्हे प्यार कर रहे थे, मुझे अच्छा लगा क्यूंकि पापा के जाने के बाद तुम्हें इतनी खुश मैंने कभी नहीं देखा!
मैंने- बेटी, यह बात किसी को न बताना और अब हम सब कोलकाता चलेंगे!
शिवानी- माँ, जिसमें तुम खुश हो, वही ठीक है, बड़े शहर में जाऊँगी तो मेरी पढ़ाई भी ठीक से होगी. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी, आप और भैया को जो ठीक लगे वो कीजिये, मैं आप लोगों का पूरा साथ दूंगी!
यह सुनकर मेरी टेंशन ही ख़त्म हो गयी और मैंने सोनू को भी सब कुछ बताया.
कुछ दिन तक ऐसे ही चला, फिर हम कोलकाता के लिए निकलने का प्लान बनाने लगे, दूकान बेच दी और टिकट भी करवा ली!
तो दोस्तो, माँ की चूत गांड चोदन कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा, मुझे ईमेल कर के जरूर बतायें!
मेरा ईमेल है- maakirasilibur@gmail.com
आपकी अपनी रांड: माँ प्रभा

माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई

Maa/ Mummy/ Mom



प्रिय पाठको, मेरी कहानी माँ बेटा सेक्स की है, मेरा नाम प्रभा है, मैं 37 साल की विधवा हूँ. मेरे 2 बच्चे है, एक बेटा सोनू 19 साल का और बेटी शिवानी उससे छोटी है.

काफी दिनों बाद आज मैंने सोचा कि अभी 20 दिन पुरानी घटना को कहानी के माध्यम से आप लोगों के साथ शेयर करूँ!
तो दोस्तो, आज मैं आपको एकदम सच्ची घटना बताने जा रही हूँ जिसमें मैं और बेटा बेटा सोनू है!
मेरे पिताजी को दारू की लत थी, माँ बचपन में ही चल बसी थी तो मेरे पिताजी ने मेरी शादी किशोरावस्था में ही करवा दी. कुछ साल अच्छे से बीते, सोनू और शिवानी का जन्म हुआ और फिर एक रोज़ मेरे पति का एक एक्सीडेंट के वजह से देहांत हो गया करीब 4 साल पहले!
मैं पूरी तरह टूट चुकी थी लेकिन ससुराल के लोगों ने बहुत मदद की और मैंने एक दुकान खोल ली जिससे हमारा गुजारा अच्छे से चलने लगा.
सब ठीक से चल रहा था लेकिन हर औरत और मर्द की कुछ बुनियादी शारीरिक जरूरतें होती हैं, वहां पर आकर मैं बेबस हो जाती थी, बाहर किसी से सम्बन्ध क्या रिश्ता रखने में भी बदनामी का डर सताता था तो इसी बेबसी को अपनी किस्मत मानकर जीवन काट रही रही थी!
अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती थी, पोर्न वीडियो देखती थी और उंगली से ही चुत की आग मिटाती थी … लेकिन आखिर कितने दिन?
खैर मैंने दिमाग से ये ख्याल ही उतार दिया था लेकिन करीब एक महीने पहले कुछ ऐसा घटा कि मेरी लालसा बढ़ गयी!
एक रोज़ शिवानी स्कूल गयी थी और मेरा बेटा घर पर ही था, मैं दूकान से जब दोपहर को घर आयी खाना बनाने तो एक चाभी जो मेरे पास रहती थी उससे मैंने दरवाजा खोला और अंदर गयी. अंदर सोनू के कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था और वो बिस्तर पे सिर्फ अंडरवियर पहन के लेटा था और अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लौड़ा लम्बा मोटा और सख्त है, यह मुझे महसूस हो गया था.
लेकिन आखिर है तो मेरा बेटा … यह सोचकर मैं अंदर चली गयी और खाना बनाकर सीधा बेड पे लेट गयी.
मेरे ख्याल में अब भी वही चल रहा था, मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.
फिर मैंने अन्तर्वासना की साइट से माँ की चुदाई श्रेणी से माँ बेटा सेक्स कहानियाँ पढ़नी शुरू कर दी, यकीन मानिये … पढ़ने के बाद मैं खुद के काबू में नहीं रही, मैंने उंगली से अपनी चुत को छुआ तो वो पानी पानी हो चुकी थी.
मैंने उस रोज रात में न खाना बनाया न खाया … मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी … मुझे बस चुदना था अब!
उन कहानियों से मैंने सीखा कि कोई भी रिश्ता हो लेकिन असल रिश्ता सिर्फ एक औरत और मर्द का होता है फिर वो चाहे बेटा हो या देवर!
रात के करीब 12 बज रहे थे, मैंने बहुत सारी पोर्न वीडियो देखी एवं हिंदी सेक्स कहानी पढ़ कर धीरे धीरे मैंने उंगली करनी शुरू कर दी अपनी चुत में … मेरा जोश एकदम बर्दाश्त के बाहर हो रहा था, जी कर रहा था कोई भी मर्द आकर मेरे जिस्म को नोच के खा जाए!
तभी एकाएक सोनू आकर सीधा चढ़ गया मुझ पर … वो भी पूरा नंगा!
मैं अचानक हुए इस हमले से भौचक्की रह गयी और हड़बड़ा कर उसे दूसरी तरफ धकेला और खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक करने लगी!
इतने में सोनू ने मुझे कस के पकड़ कर बिस्तर पे लिटा दिया और बोला- साली कब से उंगली कर रही है … तुझे तो उंगली करते हुए मैं रोज़ ही देखता हूँ और नंगी नहाती है तब भी दरवाज़े के छेद से तुझे देखता हूँ. माँ-बेटे का रिश्ता भूल कर सिर्फ अपनी हवस मिटा माँ! क्यूंकि मैंने भी आज तक सिर्फ मुठ ही मारी है! आ जा मेरी जान … आज तेरे जिस्म की आग मिटाता हूँ मैं! मुझे अपना बेटा नहीं, अपना पति समझ आज की रात! तुझे दिखाने के लिए ही अंडरवियर में लेटा था!
इतना कहकर सोनू मुझे चूमने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा.
अब मैंने शर्म हया सब त्याग दी, मेरा कण्ट्रोल खुद पे नहीं रहा था, बस अब सामने एक हट्टा कट्टा मर्द दिख रहा था जिसका लौड़ा उसके बाप से भी लम्बा था. मुझे अब अपनी प्यास बुझानी थी और सोनू भी हवसी हो चुका था!
मुझे बचपन से ही ज्यादा जोश आया करता था और मुझे वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद है जिससे कि कोई मेरा बदन नोच के खाये!
मैंने कहा- सोनू बेटा, मुझे एक रांड समझ और जो दिल में आये वो कर … मुझे मार, गाली दे, जो मन करे वो कर … बस मेरी आग मिटा मेरे बेटे!
यह सुनकर सोनू ने मेरी ब्लाउज को आगे से खींच कर फाड़ दिया और ब्रा को खोलकर मेरे निप्पल चूसने लगा और बूब्स मसलने लगा.
सोनू- साली रांड … तुझे अब मैं सही में रांड बनाऊंगा आज चोद के … कितना चुदवा सकती है तू सच सच बता?
प्रभा- बेटा, मैं तो दस मर्दों से भी चुदवा लूं, इतना भयानक जोश चढ़ा हुआ है मुझे!
इतना सुनते ही सोनू ने मेरी गांड मसल दी और कहा- साली कुतिया, बदन तो एकदम कसा हुआ है तेरा, सिसकारी जोर जोर से ले मम्मी, मैं चाहता हूँ कि पूरा मोहल्ला आज जान जाए कि तू चुद रही है!
इतना कहकर सोनू ने मेरी साड़ी पूरी खोल दी और पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मुझे नंगी कर दिया, सिर्फ पैंटी बची थी जिसने मेरी गीली चूत को ढक रखा था!
फिर मेरे बेटे ने मुझे बेड पे लिटाया और मेरे पूरे बदन को चूमने लग गया एकदम हवसी के जैसे … आखिर पहली बार उसे नंगी औरत मिल रही थी चोदने को!
अब सोनू ने अपनी माँ की दोनों जांघों को चूमा और जांघें फैला कर पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को चाटने लगा. मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने सोनू से कहा- बेटा, अपनी माँ की पैंटी उतार के चाट जीभ घुसा के मेरी चुत में!
सोनू ने अपने दांतों से मेरी पैंटी खींच कर उतारी और जैसे ही उसने जीभ मेरी चुत पे लगायी, मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैं चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहहाह!
मेरी सिसकारी इतनी जोर से निकली कि आवाज सुनते ही आधी नींद में मेरी बेटी शिवानी मेरे कमरे में आ गयी और बोली- क्या हुआ मम्मी?
हम दोनों माँ बेटे अपने काम में लगे हुए थे!
मैंने कहा- कुछ नहीं बेटी, तुम जाओ सो जाओ!
शिवानी- मम्मी, भैया क्या कर रहा है आपके साथ? कपड़े भी नहीं पहने हैं उसने!
मैं- बेटा, वो मुझे प्यार कर रहा है, तुम और बड़ी हो जाओगी, तब तुम भी समझ जाओगी!
शिवानी- मम्मी, मुझे अकेले डर लग रहा था, मैं यहीं तुम्हारे बगल में सो जाऊँ?
अब मैं बड़ी मुसीबत में फंस गयी और न चाहते हुए भी शिवानी को अपने पलंग पर सुला लिया मैंने!
इधर सोनू ने मेरी चुत में अपनी जीभ पूरी पेल रखी थी, चुत से झरने की तरह पानी निकल रहा था!
मैंने कहा – सोनू बेटा, अब चोद मुझे … लौड़ा घुसा अपना अपनी मम्मी की चूत में!
इस पर सोनू ने कहा- साली कंडोम नहीं है, ऐसे ही चोदूँ, चलेगा न?
मुझे लौड़ा जल्द से जल्द अपनी चुत में महसूस करना था तो मैंने कहा- कर न साले, सोच क्या रहा है, कंडोम नहीं है तो उसके बिना चोद!
सोनू- मम्मी, मैं पहले तुम्हारी गांड मारूंगा! कुतिया अपनी गांड देखी है तूने कभी? एकदम गोरी गोरी मोटी फूली हुई है!
मैं गांड मरवाने की शौक़ीन रही हूँ तो मैं तुरंत कुतिया बन गयी और कहा- ले बेटा, मार अपनी माँ की गांड जी भर के!
अब सोनू ने पीछे से मेरी गांड अपना लौड़ा घुसना शुरू किया,इतने सालों बाद लौड़ा घुस रहा था तो मैं होश में थी ही नहीं बिल्कुल,धीरे धीरे कर के उसने अपना पूरा मोटा मुसल जैसा लन्ड मेरी गांड में पेल दिया और मेरे बाल पकड़ के मेरी गांड मरने लगा!
वो पहली बार चोद रहा था तो थोड़ा धीरे धीरे चोद रहा था तो मैंने कहा- बेटा कस कस के मार, इतने आराम से गांड और चुत नहीं मारी जाती है! कस के एकदम रांड समझ के पेल मुझे!
अब सोनू जोश से भर गया और मेरी पीठ पे थप्पड़ मारते हुए मेरे बाल खींच कर मेरी गांड मार रहा था. मैं एकदम भयानक जोश में आ चुकी थी! वासना मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी.
तभी शिवानी बोली- भैया, मम्मी को क्यों मार रहे हो? उन्हें दर्द हो रहा है!
सोनू- अरे बहन, प्यार करने का यह एक तरीका होता है, तू बड़ी होगी तो समझ जाएगी!
मैंने कहा- शिवानी बेटा, तुम आंखें बंद कर के सो जाओ, भैया को प्यार करने दो मुझे!
अब सोनू मेरी गांड पर भी थप्पड़ मार रहा था जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. सोनू ने कहा- साली, तेरी गोरी गांड लाल हो चुकी है मेरे थप्पड़ों से और पीठ भी … अब तेरा बेटा अपनी माँ की चुत का मज़ा लेना चाहता है!
मैंने तुरंत कहा- हाँ बेटा, ले न जितना मज़ा लेना है ले! और अब से जब तेरा दिल करे तब मज़े लेना मेरे बदन का!
इतना कहकर मैं सीधी होकर लेट गयी और सोनू मेरी टांगें उठा कर मेरे ऊपर लेट गया और धीरे धीरे अपना लौड़ा मेरी चुत में घुसाने लगा!
सालों बाद मेरी चुत में लौड़ा घुस रहा था, मेरी चूत पानी से लबालब हो चुकी थी.
पूरा लौड़ा घुसाने के बाद जब सोनू ने चोदना शुरू किया तो मैं सातवे आस्मां की मस्ती पर थी, पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ हो रही थी और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थी!
सोनू- ले साली, और कस के चुद तू आज, आज तेरे इस कामुक बदन की आग बुझा ही दूंगा!
मैं- हरामी साले, ये आग सालों की है, इतनी जल्दी नहीं मिटेगी. और कस के दम लगा कर चोद मुझे! साले इतना मोटा मुसल जैसा लौड़ा है तेरा कि लग रहा है कि स्वर्ग में हूँ मैं! और चोद बेटा और कस कस के चोद अपनी मम्मी को!
सोनू- ले साली रांड मां मेरी … और कस कस के ले!
सोनू बहुत बुरी तरह से जानवर जैसे मेरे बदन को नोच रहा था और मुझे वो बहुत ही ज्यादा पसंद आ रहा था! जी कर रहा था आज चुदवा चुदवा के मर ही जाऊँ!
काफी देर तक मेरी चुत चोदने के बाद सोनू ने कहा- मम्मी, मेरा गिरने वाला है अंदर ही!
और मैं इतने जोश में थी कि कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी. उसका इतना बोलना था कि मैं परमानन्द को प्राप्त हुई, अपने शिखर पर पहुँच कर मेरा माल गिर गया और ओर्गास्म के साथ ही मैं मछली जैसे छटपटाने लगी. जिसे सोनू समझ गया और मेरी यह हालत देख कर जोश में सोनू का भी गिर गया.
मुझे मालूम था कि मेरे सेफ सुरक्षित दिन चल रहे हैं तो निश्चिंत होकर मैंने अपने अंदर ही गिरवा लिया और मेरा सगा बेटा सोनू मेरे ऊपर ही यानि अपनी सगी नंगी मां के ऊपर लेट गया!
करीब दस मिनट बाद सोनू उठा और चुपचाप अपने कमरे में चला गया!
मैंने उठ कर अलमारी से नाइटी निकाल कर पहनी और लेट गयी.
तभी शिवानी उठ कर बैठ गयी और बोली- मम्मी, भैया ने आपको बहुत प्यार किया न?
मैंने- हाँ बेटी, बहुत ज्यादा खुश कर दिया है, चलो अब सो जाओ तुम भी!
मेरे मन में शक पैदा हो चुका था कि शायद शिवानी सब समझ चुकी है क्यूंकि अब वो कोई बच्ची तो रह नहीं गयी, पूरी जवान हो चुकी है!
खैर इस बारे में फिर न शिवानी ने कुछ कहा, न ही मैंने!
और फिर हम दोनों मां बेटी भी सो गए!
सुबह पांच बजे सोनू ने दुबारा से आकर मेरे जिस्म को नोचा और जमकर अपनी माँ को चोदा पर इस बार उसका माल मैंने अपने मुँह में लेकर पी लिया था!
अब मुझे एक मर्द और मेरे बेटे को जवान औरत मिल चुकी थी और इस तरह से हम अपनी शारीरिक जरूरत यानी कामवासना पूरा करते हैं!
तो मित्रो, आपको मेरी यह माँ बेटा सेक्स की कहानी कैसे लगी मुझे मेल कर के जरूर बताइयेगा, मेरी ईमेल है
maakirasilibur@gmail.com
कहानी का अगला भाग: माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई-2

Sunday, January 6, 2019

Meri Maa Meri Patni

Maa/ Mummy/ Mom



Main 22 saal ka tha jab mere pitaji ka nidhan ho gaya aur ghar me main aur meri maa do log hee rah gaye, Main graduation kar chukka tha engineering se aur mujhe job mil gayi uske agle mahine, Maa jo kee papa ke marne ke baad thora dukhi rahne lagee thee ye khabar sunkar bahut khush ho gayi mere ghar ka sab kuch thee ho gaya mera job lagte hee Khusi laut gayi hum dono maa -- bête ke jindagi me khair ... iss job ne sirf khushi nahi diya balki hum Maa beton ke jindagi Kee nai suruat bhi dee...

Main hamesha se apne 39 saal kee maa ke jism ka diwana raha tha, jab se main jawan hua tha tab se agar kisi ko chodna chaha tha to sirf apnee maa ko chodna chaha tha, uskee badi badi gand aur bade bade chuchiyon kaa pagalo kee tarah diwana tha, Jab bhi muth marta sirf apnee maa ko khayalon me lakar hee muth marta.... Khair bhagwan ne meri sun lee aur sab kuch apne aap raste par aane laga..

Job lagne ke baad main maa ko lekar Delhi aa gaya wahan ek room aur kitchen wala apartment jan bujhkar liya taki main apne maa se karibi badha sakun... Maa bhi khush thee usne bhi mujhe yahi salah diya kee sirf maa bête ke rahne ke liye 2 room wala apartment lekar jyada rent kyun dena..

Main ab subah job par jata aur sham ko jab ghar par aata to meri maa meri patni kee tarah intzaar karti rahtee thee, din prati din mera apne maa ko pane ka use apni patni banane ka pagal pan badhta jaa raha tha lekin ye sochkar kee maa ko agar kahunga kee main tumhe chodna chahta hun tumhe apnee biwi banana chahta hun to kahin wo bura naa maan jaye chup rahta tha, kabhi sochta kee jabardasti chod leta hun kise kahegi kee mere bête ne mujhe chod liya lekin fir ye sochkar kee nahi ye to aur galat hoga to fir ek din socha kyun naa maa ko meethi meethi baton se pataya jaye akhir wo bhi sirf 39 saal kee hai use bhi to chudwane ka mann hota hoga waise bhi uska chut 3 saal se chudai nahi karwaya hai kyunkee papa ko doctor ne sex karne se mana kar diya tha unke bimari ke karan...

Delhi aaye hum logon ke 1 mahine ho gaye the.. Maine ek palang kharid liya tha aur uspe maa soti thee aur main niche sota tha .. ek din maa boli mujhe bilkul achha nahi lagta hai kee mera beta neeche sota hai aaj se tum neeche nahi soge upar soge.... Mere andar khushi kee lahar fail gayi lekin fir socha kee kahin wo khud to niche nahi soegi isliye turat puchh dala aur meri sundar maa kya niche soegi .... Wo boli nahi mere bête main bhi apne bête ke pass upar hee soungi... mere khushi ka to theekana nahi raha jis din ke liye main soch soch kar pagal hota rahta tha aaj wo din khud mere paas chalkar aaya tha.... Main turat uthkar maa ke paas jakar so gaya ... maa muskura kar boli ye hui na achhe bête wali baat...

Main maa ko niharne laga wo meri taraf karwat lekar soyi hui thee mai uski taraf... kuch der tak jab main maa ko niharta raha tho maa ne muskurate hue pucha kya hua itna kyun ghur raha hai apnee maa ko..

Maine muskurate hue kaha maa tum bahut khubsoorat ho... maa muskurate hue boli dhaat pagal apnee budhi maa ko khubsoorat kahta hai... main samajh gaya kee meri tariff meri maa ko achhi lag rahi hai... maine kaha nahi maa mujhe tum se khubsoorat is duniya me koi nahi lagta.... Ab uske aankhon me ajeeb see khushi nazar aane lagi mujhe... usne mujhe bade hee ajeeb sabdon se puchha kee kya sab sundar lagta hai mera to maine kaha maa tumhara sab kuch sundar hai tumhari naak Ravina tondon se bhi jyada sexy hai mera to mann hota rahta hai kee main tumhare naak ko khub chusu.... Maa ne mere gaal par bade pyar se ek thappar marte hue kaha badmas kahin kaa.... Aur kya sab mann hota hai tumhara apne maa ke sath karne kaa ...... Main to maa ke is bartaw se andar hee andar apna sapna pura hote hue dekhne laga aur mere andar himaat badhane lagee... Main ab maa ke sath khulne laga lekin main maa se puri sahmati lena chahta tha taki wo ye na soche kee main use jabardasti apna patni banakar chodna chahta hun isliye main dheere dheere apne dil kee baat kahna chahta tha.. Maa ne jab mujhe ye pucha kee kya kya mann hota hai tumhara apne maa ke sath karne kaa to mera mann hua kee direct bata dun kee main tumhe chodna chahta hun lekin fir main bola maa tum galat sochogi to maa ne mere kamar par hath rakhte hue boli agar bura manana hota to puchhtee kyun batao kya mann hota hai tumhara mere sath karne kaa..

maine kaha maa mera mann hota hai kee tum main tumhe khoob pyar karun utna pyar jitna log apne biwi ko karte hain .. tum mujhe bahut khubsoorat lagtee ho is dunia me sabse khubsoorat.. Maa ne mujhe kuch der tak ektak dekha aur phir mere se chipak gayi uskee dono badi badi komal komal chuchiya mere sine me dab gayi, mera lund jo kee palana par aane ke baad se hee khara tha uske pet me chipak gaya aur wo mujhe apne bahon me daboch lee maine apne sapne ko sach hote hue dekha aur apne maa ko usee tarah rakhe raha karib 10 minute ke baad wo meri taraf dekhte hue boli mere bête main tumhari maa hun tum mere sath wo sab nahi kar sakte jo ek biwi ke sath kiya jata hai... Maine maa ko gaal par chuma aur phir kaha kyun maa tum meri maa hone ke sath sath ek aurat bhi to ho aur main tumhara beta hone ke sath sath ek mard bhi to fir main tumhe pyar kyun nahi kar sakta meri sexy maa, Maa I love you... Maa ke khushi ka theekana nahi tha uske sarir kanp rahe the lekin wo bhi meri tarah pura confusion dur karke hee mujhe apne chut ka daas banana chatee thee.... Haan beta ye main aurat hun aur tum ek mard lekin ... Lekin kya maa... kuchh nahi beta lekin agar kisi ko pata chalega to hum dono munh dikhane like nahi rahenge..... Maa kisi ko pata tab chalega na jab hum me se koi kisi ko batayega aur yaha to hum dono ko koi janta bhi nahi hai kee hum maa bête hain ya pati patni...

Maa tum meri patni ban jao mujhe apna pati bana lo maa .. Maa meri aurat ban jao mujhe apna mard bana lo... tum bahut khubsoorat ho meri maa main tumhe pati ka sab sukh dunga........ Bolo maa meri patni banogi..... maa mere ko apne bahon me daboche hue mere hothon ko chum lee aur boli mere bête mujhe biswas nahi ho raha hai kee mera raja beta mujhe apna patni banana chahta hai... mere raja teri maa teri patni banker duniya kee sabse kismat wali aurat ban jayegi mere laal.... Bana lo raja mere bête mere mujhe apne patni bana lo ban jao mere saiyan, mere mard mere bête mujhe apne jawan bahon me kaskar mere armano ko pura kar do...

Mere khushi ka thekana nahi raha main use betahasa chumne laga aur apne maa ko pyar karne laga meri maa, meri chuchi wali maa meri hone wali biwi... aa jao mere sine se chipak jao meri rani maa... apne hone wale pati ke seene se chipak jao... maa muskurate hue boli mere bête mere hone wali pati apnee hone wali biwi ko apna lund chubha raha hai pet me .... Bolo na beta tum apnee maa ke sath sadi kab karoge kab uske sath suhagraat manaoge mere bête mere hone wale saiyan ... tumhari maa kee maang tere sindoor ke liye pyasi hai aur uskee choot apne bête ke laude ke liye tarap rahee hai bolo mere raha kab mujhe mard ka sukh doge ab mere se aur intazaar nahi hota ... Main ab maa ko kaha abhi meri biwi ban jao maa lao sindoor kar dun teri maang me bana lun tujhe apni biwi aur apne sapno ko sakar kar lun tumhari chuchiya mere sine me chipak kar mere hosh ura chuki hain ab meri biwi bankar mujhe apne haseen chut ke darsan karao maa mujhe apnee maa ko chodne ka armaan pura karne do maa...

Maa uthkar sindoor le aayi aur maine uske maang me kar diya aur hum dono pati patni ban gaye aur maa mere se chipak gayee aur mujhe apne bahon me bhar liya aur boli mere bête saiyan aaj apnee maa ko tumne apna patni bana kar dhanya kar diya ab mujhe apne biwi ko tum jitna pyar karoge tumhari biwi naa nahi kahegi mere bête mere saiyan. 

Maine kaha maa apne patni se laaz kaisa meri rani aaj main tumhe yani kee apne maa ko yani kee apne patni ko khoob chodunga, meri maa tum apne pati ke samne kapre kyun pahan rakhi utaro naa ise .. nahi mere saiyan jee aaj mere suhagraat hai aaj aap hee utaroge mere kapre ko .. chalo utaro apne maa ka kapra aur nangi kar do mujhe maine maa ke blaouse khol diya uske do bare bare chuchiyan jaise hee ajad hue mere andar use dekhkar hee ajeeb see lahar fail gayi main use bade pyar se dabane laga aur udar maa ne mere lund ko pajama se nikalkar muthi me pakar liya uskee lambai aur motai dekhkar wo khusi se pagal ho gayi... wah re mere bête kya lauda hai tumhara aaj to meri chut dhanya dhanya ho jayegi ... itna bara lauda ... he bhagwan ye to 10 inch se kam nahi hoga aur mota itna kee mere muthi me nahi aa raha hai... wah re mere bête kya lauda paya hai aaj apne maa ke chut kee sari khujli mita de. Mere saiyan.. itna kahkar wo mujhe palage pe chit kar di aur mere lund ko chumne lagi mere andar to mano bijli daur rahi thee.. 

fir usne mere lund ko chusna suru kiya uske lund chusne se mano lag raha tha kee swarg bhi iske samne kuch nahi hai mera adha lund wo apne andar le leti thee aur adhe ko chatakar pura bhiga chuki thee... fir wo palang par chit let gayi aur boli mere saiyan ab apne gadhe jaise is lund ko apnee maa kee chut me dalkar maa ko mast kar do mere chut kee pyass bujha do wo bilkul nangi thee aur main bhi pura nanga tha main pahlee baar maa ke chut ko pure samne dekh raha tha itna sundar chut hoga meri maa ka maine socha bhi nahi tha phuli phuli chut aur uske beech me gulabi chhed ... hai re meri maa kya chut hai tumhari... itna kahkar main use chum liya ..... uske chut kee khusboo jab mere naak ke raste mere dimag tak gayi to main mano sab kuch bhool gaya mujhe agar kuchh yaad raha tha to bas meri maa meri patni... fir main maa ke chut ko chatne laga apne aap mere jeebh uske chut pe chalne lage aur wo kamar uchhalne lagee uski munh se aah mere bête seeeeeeeeee ... ahhhhhhhhhhhhhhhhhhh, mere laaaaaaaaaaaaal, ab aur na tarsao, bas ab main tumhari hun.. aaj tum ab mere chut me apne lund ghusa do mere bête mere saiyan apnee maa ko apne lund se chodkar use sachi mayne me apna patni bana lo... 

Mera lund bhi ab phatne ko taiyar tha isliye main uske jangho ko chher kar uske khubsoorat chiknee chut ke gulabi phat ko samne kiya aur apne lund ko pakar kar jaise hee uske choot ke ched par sataya aisa laga pure sarir me lakhon chitiyan daur gayi aisa laga swarg to kya tino lok ka sair kar aaya udar maa siskar uthi dhaya ho gayi mere laaaaaaaaaaaal, meri choot ke raste mere pure sarir me tune anand ka sagar bhar diya mere saiyan, mere raja, teri maa aaj dhanya ho gayi ab bas apna lund mere chut me ghusa do mere raja....

Main maa ke chut me apna lund ghusa diya maa ne mujhe aise hee roke rakha wo nahi chahtee thee kee main uske chut se apna lund nikalun.......... Hum dono ne fir us raat kai baar chudai kee... 

Kuch dino baad mera job America me lag gaya ab hum dono waha pati patni kee tarah rahte hain, hum dono k eek beta bhi hai 1 saal ka..

Kaisa laga story jarur bataiyega...

Thursday, January 3, 2019

मेरी माँ सेक्सी माँ

Maa/ Mummy/ Mom



मैं अभी 19 साल का हूँ और मेरी माँ की उम्र होगी 37 साल, मेरी माँ बला की खूबबसूरत है।
उनकी खूबसूरती तो ऐसी है कि अगर आज भी वो घर से बाहर निकलती है तो चलने वाले सभी आदमियों की और लड़कों की लुल्ली पैंट में ही खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनका फिगर है ही इतना लाजवाब 36-27-36 । मैं अभी कालेज में ही हूँ और अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ।
इस रविवार को मैं घर पर ही था छुट्टी होने की वजह से तो जब मैं सोकर उठा तो मेरी माँ घर की साफ सफाई कर रही थी।  माशा अल्लाह! क्या लग रही थी वो!
सिल्की गुलाबी रंग के गाउन में उनके स्तन तो गाउन से बाहर निकलने को ही हो रहे थे। अगर ब्रा ना होती तो माँ के स्तन बाहर निकल चुके होते। और उनकी गांड तो मानो ऐसे मुझे उकसा रही थी कि आ बैल- मेरी मार। मैंने अपनी माँ को पहले कभी ऐसी नजर से नहीं देखा था पर मैं करता भी क्या!
मैं अभी उनके नितम्बों को देख कर सोच ही रहा था कि इतने में उन्होंने कहा- आज पूरे दिन पड़ा ही रहेगा या उठेगा भी! बिस्तर से खड़ा हो! मुझे यहाँ सफाई करनी है, कितना गन्दा कर रखा है तूने अपना कमरा!
मैं बोला- होता हूँ खड़ा! और मैं खड़ा हो गया पर यह भूल गया कि मेरा लंड भी जोश में आकर खड़ा हो गया था, वो तो बस घुस जाना चाहता था माँ की गांड में! मैंने उसे ठीक किया और बाहर आ गया।
बाहर पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। इतने में मेरे दोस्त मुझे बुलाने के लिए आ गए क्रिकेट मैच के लिए।
मैं भी फिर जल्दी से नहा धोकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर पूरे दिन में अपनी माँ के सेक्सी ख्यालों में खोया रहा और उस दिन ढंग से खेल भी नहीं पाया।
शाम को 6 बजे जब मैं घर पर आया तो घर बिल्कुल सुनसान सा पड़ा था, लग रहा था कि कोई नहीं है। पर जब मैं अन्दर घुसा तो मैं तो हैरान ही रह गया। पापा मम्मी को चोद रहे थे। वो अब मेकअप करके किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं यह सब बाहर दरवाजे के बगल में खड़ा होकर देख रहा था। क्या लग रही थी वो! पापा मम्मी के बोबों को ऐसे दबा रहे थे कि आज ही सारा दूध निकाल लेना चाहते हो!
वो कह रहे थे- आजा मेरी जान! अब तो महीने भर बाद ही मौका मिलेगा तुझे चोदने का!
शायद वो ऑफिस के काम से बाहर जा रहे थे।
माँ ने कहा- तो जा क्यों रहे हो? इस जान को छोड़कर मत जाओ न! मेरा दिल नहीं लगेगा, इतने दिन में मैं तो पागल ही हो जाऊँगी तुम्हारे बिना!
क्यों चिंता करती हो? एक महीने बाद आ तो रहा हूँ मैं! फिर से चोदूँगा तुझे मेरी जान! पर काम तो काम है न! वो तो करना ही पड़ेगा।
माँ बोली- हम्म! वो तो है मेरे राजा!
पापा ने कहा- चल अब घोड़ी बन जा! काफी देर हो गई चूत मारते हुए!
तो माँ बोली- तुम मर्द लोगो को गाण्ड में ऐसा क्या मजा आता है?
और उन्होंने मम्मी को घोड़ी बनाया और चोदने लगे।
क्या आवाजें निकाल रही थी माँ चुदते हुए! मेरा लंड तो फनफनाने लगा था उनकी अवस्था देख कर!
मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं अपनी माँ को चोद पाता! क्या माल है वो!
आधे घंटे भर तक वो चुदाई-कार्यक्रम चला होगा और फिर पापा रात को ही मुंबई के लिए चले गए और माँ से कह गए कि मेरा ख्याल रखे।
मैंने उस शाम का दृश्य देख कर कसम खाई कि एक बार तो माँ को जरूर चोदूँगा।
दिन ऐसे ही निकलने लगे और माँ भी थोड़ा उदास सी रहने लगी।
मुझसे माँ की यह बेचैनी देखी नहीं जा रही थी पर मैं उनसे कह भी तो नहीं सकता था, मैंने उनसे पूछा- माँ, इतनी उदास क्यों रहती हो तुम आजकल?
तो वो बोली- कुछ नहीं बेटा, तेरे पापा की बहुत याद आ रही है, इतनी दिन हो गए न!
मैंने कहा- माँ मैं हूँ न पापा की जगह! बोलो क्या हुआ?
तो वो बोली- तू क्या जाने एक औरत की मज़बूरी! तू तो अभी बच्चा है।
मैंने कहा- हाँ माँ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब! पूरे 19 साल का हो गया हूँ! और मेरा पप्पू भी।
वो बोली- क्या कहा तूने?
मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया।
मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में…पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।
कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा!
और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई। उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था। मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा! चल नीचे जा!
मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ!
और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए। सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे! उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था।
नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।
उस समय मैं माँ के दोनों स्तन देख रहा था जो गाउन में से झांक रहे थे। क्या संतरे थे- मानो कि अभी दबाओ तो कई ग्लास भर कर जूस निकलेगा उसमें से!उन्होंने मुझे देख कर कहा- क्या देख रहा है तू इधर मेरे उभारों को घूर कर?
मैं डर गया और कहा- कुछ भी तो नहीं!
तो वो बोली- मैं सब समझती हूँ बेटा! माँ हूँ तेरी!
और यह कह कर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी और कहने लगी- तू भी अपने कपड़े बदल ले, मैं भी अब नहा लेती हूँ!
क्या गाण्ड लग रही थी चलते हुए उनकी! मैं मन ही मन तो उन्हें चोद ही चुका था और आज अच्छा मौका था उन्हें सचमुच में चोदने का! मैं उनसे जाकर पीछे से लिपट गया। माँ एकदम से घबरा गई। मैंने कहा- माँ सॉरी! मैं ऐसा कुछ नहीं देख रहा था जो आप सोच रही हो!
माँ से चिपकते ही मेरा लंड फुन्कारे मारने लगा था और इसका एहसास मेरी माँ को भी हो गया था क्योंकि उस समय मेरा लंड उनकी दरार में रगड़ मारने लगा था। शायद माँ समझ गई थी कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ। उन्होंने कहा- चल छोड़ मुझको! मैं तो बस मजाक कर रही थी!
शायद वो भी काफी दिनों से चुदासी थी इसलिए चुदवाना भी चाहती थी और उन्होंने मुझे पीछे से हटाकर अपनी छाती में समा लिया। मैं तो उनके वक्ष में खो ही गया था।
क्या स्तन थे उनके! मन तो कर रहा था कि दबा कर सारा दूध निकल लूँ!
फिर वो बोली- चल, अब जा! कपड़े बदल ले! मैं भी नहा लूँ! तब वो बाथरूम में चली गई।
मैं कहाँ मानने वाला था, उनके बाथरूम में जाने के बाद मैं उन्हें बाथरूम में देखने लगा दरवाज़े के छेद मैं से! …..उन्होंने अपने धीरे-धीरे कपड़े उतारे। शायद उन्हें पता लग गया था कि मैं उन्हें छेद में से देख रहा हूँ और वो धीरे धीरे अपनी चूचियाँ दबाने लगी और सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह्म्म्मम्म ओह माय गोशह्ह्ह्ह आह्ह्ह अहा ओह्ह्ह और अपनी चूत में भी ऊँगली डालने लगी। वो यह सब कुछ मुझे दिखा रही थी जानबूझ कर! और मैं भी बाहर खड़ा होकर अपना लंड दबा रहा था।
क्या आवाजें थी- हम्म ओह्ह्ह होऊस्स्स ओह …..मैं बाहर सब सुन रहा था पर कुछ नहीं बोला! मन तो कर रहा था कि दरवाज़ा खोल कर अन्दर घुस जाऊँ!
इतने में उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- अरे मेरे कपड़े तो बाहर ही रह गए! जरा देना बेटा!
मैं घबरा गया और वहाँ से बाहर के कमरे में आ गया और डरते हुए पूछा- कहाँ हैं कपड़े?
वो बोली- वहीं पर मेज पर रखे हैं!
मैं बोला- ठीक है। लाता हूँ!
वहाँ पर उनकी लाल रंग की ब्रा और चड्डी के साथ लाल रंग का गाउन रखा हुआ था। मानो जन्नत!
और फिर माँ को देने के लिए बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी माँ जोर से चिल्लाई- क्या कर रहा है? इतनी देर हो गई तुझे? कहाँ मर गया? मैं बोला- ला तो रहा हूँ!
मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं उन्हें कपड़े देने लगा, उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला और कपड़े ले लिए। मेरा मन किया कि मैं भी घुस जाऊँ! क्या पता बात बन ही जाये!
और दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया। माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी। मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा।
वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है?
उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए? पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा।
और इसके बाद तो शायद माँ को भी लगा कि अब इसने इतना कुछ कर लिया है तो अब क्या रोकूँ इसे, क्योंकि वो भी तो सेक्स करने के लिए तड़प रही थी इतने दिनों से!
और माँ सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह़ा हाह आःह्ह्ह जालिम शर्म कर! मैं तेरी माँ हूँ! कम से कम मुझे तो बख्श दे! शर्म कर थोड़ी!
तो मैंने कहा- माँ, आप बहुत सेक्सी हो! मैं तो आपको कब से चोदने की फ़िराक में था! आज मौका मिला है तो कैसे हाथ से जाने दूँ? आज मत रोको! समा जाने दो मुझको तुम्हारे अन्दर! नहीं तो मैं मर जाऊंगा माँ!
तो वो बोली- अच्छा ठीक है कम्बखत ! अब तुझे क्या कहूँ? कुछ कहने लायक नहीं छोड़ा तूने तो! जो करना है कर लेना! पर अभी बाहर जा! मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूँ!
और मैं बाहर आ गया। कुछ देर बाद वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और अपने कमरे में चली गई। तब तक मैं भी अपने कमरे में जा चुका था। करीब आधा घंटा हो चुका था इस बात को।
मैं भी काफी शर्म महसूस कर रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न माँ को जाकर सॉरी कह दूँ!
मैं उनसे माफ़ी मांगने उनके कमरे की तरफ जाने लगा, पर जैसे ही मैं उनके कमरे में पहुँचा तो वो तो सज-धज कर खड़ी हुई थी बिल्कुल 25 साल की लड़की की तरह लग रहा थी। उनके बड़े बड़े स्तन मानो कह रहे थे- आओ और हमें खा जाओ! उनका यह रूप देख कर लग रहा था जैसे कि आज मानो उनकी सुहागरात हो!
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। शायद माँ को चुदवाने की हुड़क चढ़ चुकी थी, वो कहने लगी- इधर आ! मुझे तुझसे कुछ बात करनी है!
मैंने कहा- माँ सॉरी! प्लीज पापा से मत कहना!
और मैं उनकी छाती से चिपट कर रोने का नाटक करने लगा। क्या खुशबू आ रही थी उनके वक्ष से!तो उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा जो हुआ उसे भूल जा! और एक बात बता कि क्या मैं तुझे इतनी जवान लगती हूँ कि तुझे इतनी भी शर्म नहीं आई और तूने ऐसा कर दिया?
मैंने कहा- गलती हो गई माँ…
वो बोली- चल ठीक है, कोई बात नहीं! अच्छा एक बात बता, तू क्या फिर से मुझे ?
मैंने कहा- नहीं!
तो वो बोली- चल पगले! इतनी मेहनत से तैयार हुई हूँ मैं  और तू मना कर रहा है ? अब इस आग को तो तू ही बुझाएगा मेरे राजा! चोद डाल मुझे । फाड़ दे मेरी  निकाल दे आज सारी जलन मेरी
और उन्होंने मुझे अपने वक्ष में दबा लिया और कहने लगी- पी ले सारा दूध इनका! कुछ मत छोड़ इनमें! समा जा मेरे अन्दर!
मैं भी मन ही मन खुश हो गया और कहने लगा- मेरा तो जैकपॉट लग गया है आज!
मेरी मुराद पूरी हो रही थी एक ही दिन में दो बार! मैंने कहा- ठीक है माँ! आप इतना कहती हैं तो!मैं उनकी चूचियाँ दबाने और चूसने लगा ब्लाऊज़ के ऊपर से ही।
तो वो बोली- अब तो मैं पूरी तेरी हूँ, जो करना है वो कर ना।
मैंने कहा- ऐसे नहीं! जैसे टीवी पर, फिल्मो में दिखाते हैं, धीरे-धीरे!
तो वो बोली- अच्छा तो तू ये सब चीजें भी देखता है?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या ? माँ, अब मैं बड़ा हो गया हूँ न इसलिए!
वो बोली- ठीक है, मैं तो पहले से तैयार हूँ, तू भी तैयार हो जा!
वो तो तैयार बैठी थी, टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी।
मैंने कहा- माँ, यह क्या है?
वो बोली- अब क्या करूँ? तेरे पापा तो काम से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, तो मुझे भी तो अपनी प्यास बुझानी होती है न।
तो मैं बोला- अब आगे से जब भी पापा बाहर जाएंगे तो मैं आपको चोदूँगा! मैं आपका छोटा पति!
वो बोली- अरे हाँ हाँ! मेरे स्वामी अब तो आप भी मेरे दूसरे स्वामी हो।और मैंने उनको उठाया और उनसे इस तरह चिपक गया जैसे दो जान एक शरीर! मैंने उनको ऊपर से नीचे तक इतना चूसा कि वो कहने लगी- अब डाल दे लौड़ा मेरी चूत में जालिम। अब छोड़ मेरे चूचे! डाल दे अब मेरी चूत में! फाड़ दे मेरी चूत! अब नहीं रुका जाता।
मैंने कहा- अरे इतनी जल्दी क्या है माँ! थोड़ा रुक! तुमसे ज्यादा तो मैं प्यासा हूँ। आज तो मैं तुम्हें इतना चोदूंगा कि तुम आगे से कभी भी पापा के साथ सेक्स करना पसंद नहीं करोगी।
वो बोली- हम्म! तू तो बड़ा ज़ालिम है बेटा! इस चूत पर हक तो तेरे पापा का ही है। इस मकान में तो तू केवल किरायेदार है बेटा!
मैंने बोला- हम्म वो तो है…और मैंने उनको अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और सबसे पहले उनके होंटों को कम से कम दस मिनट तक चूसता रहा और बीच बीच में उनकी चूत भी साड़ी के ऊपर से सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी।
मैंने धीरे धीरे उनके कपड़े उतारे और लगभग पूरी नंगी कर दिया, केवल ब्रा और पैंटी रह गई थी वो भी लाल रंग की।
मैंने कहा- तुम तो इतनी खूबसूरत हो कि मैं  तुम्हें रोजाना इतना चोदूँ,
तो वो बोली- तो चोद ना साले! मैं तो मरी जा रही हूँ कबसे! अब तो मैं पूरी तेरी ही हूँ! जब चाहे तब चोद मैंने कब मना किया है
मैं उनकी ब्रा उतारने लगा और इतने में उन्होंने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया, उसके साथ खेलने लगी, कहने लगी- बाथरूम में तो इसकी लम्बाई ढंग से नहीं नाप पाई, पर यहाँ पर तो इसको पूरा खा जाऊंगी!
दस मिनट तक उन्होंने मेरे लौड़े को चूसा होगा। मेरा लंड भी अब पूरे उफान पर था और फाड़ देना चाहता था माँ की चूत को। जिस बात का मुझे इतनी दिनों से इंतज़ार था वो सपना पूरा होने वाला था। माँ के दोनों संतरे मानो ऐसे लग रहे थे जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे! मैंने कहा- माँ, इनको तो मैं खा जाऊंगा।
माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। और मैंने अपना लंड माँ की चूत में बाड़ दिया और फिर चालू हुआ माँ-बेटे की चुदाई का कार्यक्रम! वो बीच बीच में इतनी तेज चिल्ला रही थी, कह रही थी- बेटा चोद दे आज अपनी माँ को! घुस जा पूरा इसके अन्दर! फाड़ डाल इसको। ह्म्मम्म हाआअहाह उह्ह्हह ह्म्म्म मैं तो मर जाऊँगी… उह ह्म्मम्म उह्ह्ह….और मैंने तेज-तेज झटके लगाने चालू कर दिए। कम से कम आधे घंटे चूत मारने के बाद मैंने कहा- माँ, अब घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारी गांड मारूँगा।
तो माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी और कहा- तुम मर्द लोगों को गांड में ऐसा क्या मजा आता है?
मैंने कहा- माँ गांड और चूचियाँ ही तो तुम्हारी जान है! और तुम कह रही हो कि क्या मजा आता है? इनको देख कर तो मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और इन्हीं चीजों को लेकर तुम औरतें इतना इतराती हो। उन्होंने एक सेक्सी सी मुस्कुराहट दी और गांड को सेक्सी तरीके से हिलाने लगी। मैंने धीरे-धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। बहुत आनन्द आ रहा था मुझे गांड मारने में। मम्मी भी, जब तक मैं नहीं झड़ गया, तब तक चुदती रही और मेरा पूरा साथ दिया.
मैं झड़ चुका था और माँ भी…तो माँ ने कहा- रुको, अब थोड़ा आराम कर लो बेटा!
मैंने कहा- हाँ माँ! मैं भी बहुत थक गया हूँ…
तो वो बोली- चल तू यहीं रुक! मैं तेरे लिए दूध लाती हूँ…
माँ जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, मैंने फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया और चूसने लगा और कहा- मेरा पैष्टिक दूध तो यह रहा माँ! तुम तो मुझे बचपन में यही दूध पिलाती थी ना!
तो वो बोली- अरे! तू नहीं सुधरेगा! थोड़ी देर भी नहीं इंतज़ार कर सकता?
मैंने कहा- माँ, ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा? आज के बाद पता नहीं कब मौका मिलेगा!
और मैंने दूध मुंह में भर लिए और मां गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगी। मेरा लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था तो मैंने कहा- माँ यह तो फिर से खड़ा हो गया!
तो वो बोली- तो देर किस बात की? आ जा एक बार फिर! मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थी और मैं भी उन्हें काफी उछल-उछल कर चोद रहा था। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था, वो काम की देवी लग रही थी।
माँ ने कहा- लगता है जिन्दगी भर की चुदाई आज ही कर डालोगे!
मैंने कहा- और नहीं तो क्या!
और मैंने तेज-तेज झटके मारने चालू कर दिए और सारा कमरा फिर से आवाजों से गूंजने लगा। उस रात मैंने उनको दो बार और चोदा।
अगली सुबह मेरी आँख दोपहर को तीन बजे खुली। मैं उठा और अपने कमरे में जाने लगा पर जैसे ही मैं बाहर आया, माँ झाड़ू लगा रही थी। उन्होंने गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था वो उस समय झुकी हुई थी। मैं पीछे से चुपचाप गया और उनकी गांड के छेद पर अपना लंड लगा दिया।
वो बोली- जगा गया मेरे राजा! चल अब नहा धो ले! फिर खाना खा ले!
मैंने कहा- ठीक है पर एक ट्रिप लेने के बाद!
मैंने उनको एक बार फिर से चोदा। अब जब तक पापा नहीं आ जाते, मैं उन्हें रोजाना चोदने वाला था। फिर से पूरा घर सेक्सी आवाजों से गूंज गया और फिर से एक बार हम दोनों माँ-बेटे पति-पत्नी बन गए।
काफ़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया और माँ भी… तो माँ ने कहा- पड़ गई तुझे शांति! तो जा अब नहा ले! मैंने कहा- ठीक है। और रात भी मैंने मा को 2 बार फिर से चोदा.
अब मुझे यह बताओ कि आपको यह कहानी कैसे लगी। maakirasilibur@gmail.com