Maa/ Mummy/ Mom
मैं अभी 19 साल का हूँ और मेरी माँ की उम्र होगी 37 साल, मेरी माँ बला की खूबबसूरत है।
उनकी खूबसूरती तो ऐसी है कि अगर आज भी वो घर से बाहर निकलती है तो चलने वाले सभी आदमियों की और लड़कों की लुल्ली पैंट में ही खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनका फिगर है ही इतना लाजवाब 36-27-36 । मैं अभी कालेज में ही हूँ और अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ।
इस रविवार को मैं घर पर ही था छुट्टी होने की वजह से तो जब मैं सोकर उठा तो मेरी माँ घर की साफ सफाई कर रही थी। माशा अल्लाह! क्या लग रही थी वो!
सिल्की गुलाबी रंग के गाउन में उनके स्तन तो गाउन से बाहर निकलने को ही हो रहे थे। अगर ब्रा ना होती तो माँ के स्तन बाहर निकल चुके होते। और उनकी गांड तो मानो ऐसे मुझे उकसा रही थी कि आ बैल- मेरी मार। मैंने अपनी माँ को पहले कभी ऐसी नजर से नहीं देखा था पर मैं करता भी क्या!
मैं अभी उनके नितम्बों को देख कर सोच ही रहा था कि इतने में उन्होंने कहा- आज पूरे दिन पड़ा ही रहेगा या उठेगा भी! बिस्तर से खड़ा हो! मुझे यहाँ सफाई करनी है, कितना गन्दा कर रखा है तूने अपना कमरा!
मैं बोला- होता हूँ खड़ा! और मैं खड़ा हो गया पर यह भूल गया कि मेरा लंड भी जोश में आकर खड़ा हो गया था, वो तो बस घुस जाना चाहता था माँ की गांड में! मैंने उसे ठीक किया और बाहर आ गया।
बाहर पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। इतने में मेरे दोस्त मुझे बुलाने के लिए आ गए क्रिकेट मैच के लिए।
मैं भी फिर जल्दी से नहा धोकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर पूरे दिन में अपनी माँ के सेक्सी ख्यालों में खोया रहा और उस दिन ढंग से खेल भी नहीं पाया।
शाम को 6 बजे जब मैं घर पर आया तो घर बिल्कुल सुनसान सा पड़ा था, लग रहा था कि कोई नहीं है। पर जब मैं अन्दर घुसा तो मैं तो हैरान ही रह गया। पापा मम्मी को चोद रहे थे। वो अब मेकअप करके किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं यह सब बाहर दरवाजे के बगल में खड़ा होकर देख रहा था। क्या लग रही थी वो! पापा मम्मी के बोबों को ऐसे दबा रहे थे कि आज ही सारा दूध निकाल लेना चाहते हो!
वो कह रहे थे- आजा मेरी जान! अब तो महीने भर बाद ही मौका मिलेगा तुझे चोदने का!
शायद वो ऑफिस के काम से बाहर जा रहे थे।
माँ ने कहा- तो जा क्यों रहे हो? इस जान को छोड़कर मत जाओ न! मेरा दिल नहीं लगेगा, इतने दिन में मैं तो पागल ही हो जाऊँगी तुम्हारे बिना!
क्यों चिंता करती हो? एक महीने बाद आ तो रहा हूँ मैं! फिर से चोदूँगा तुझे मेरी जान! पर काम तो काम है न! वो तो करना ही पड़ेगा।
माँ बोली- हम्म! वो तो है मेरे राजा!
पापा ने कहा- चल अब घोड़ी बन जा! काफी देर हो गई चूत मारते हुए!
तो माँ बोली- तुम मर्द लोगो को गाण्ड में ऐसा क्या मजा आता है?
और उन्होंने मम्मी को घोड़ी बनाया और चोदने लगे।
क्या आवाजें निकाल रही थी माँ चुदते हुए! मेरा लंड तो फनफनाने लगा था उनकी अवस्था देख कर!
मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं अपनी माँ को चोद पाता! क्या माल है वो!
आधे घंटे भर तक वो चुदाई-कार्यक्रम चला होगा और फिर पापा रात को ही मुंबई के लिए चले गए और माँ से कह गए कि मेरा ख्याल रखे।
मैंने उस शाम का दृश्य देख कर कसम खाई कि एक बार तो माँ को जरूर चोदूँगा।
दिन ऐसे ही निकलने लगे और माँ भी थोड़ा उदास सी रहने लगी।
मुझसे माँ की यह बेचैनी देखी नहीं जा रही थी पर मैं उनसे कह भी तो नहीं सकता था, मैंने उनसे पूछा- माँ, इतनी उदास क्यों रहती हो तुम आजकल?
तो वो बोली- कुछ नहीं बेटा, तेरे पापा की बहुत याद आ रही है, इतनी दिन हो गए न!
मैंने कहा- माँ मैं हूँ न पापा की जगह! बोलो क्या हुआ?
तो वो बोली- तू क्या जाने एक औरत की मज़बूरी! तू तो अभी बच्चा है।
मैंने कहा- हाँ माँ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब! पूरे 19 साल का हो गया हूँ! और मेरा पप्पू भी।
वो बोली- क्या कहा तूने?
मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया।
मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में…पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।
कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा!
और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई। उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था। मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा! चल नीचे जा!
मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ!
और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए। सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे! उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था।
नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।
उस समय मैं माँ के दोनों स्तन देख रहा था जो गाउन में से झांक रहे थे। क्या संतरे थे- मानो कि अभी दबाओ तो कई ग्लास भर कर जूस निकलेगा उसमें से!उन्होंने मुझे देख कर कहा- क्या देख रहा है तू इधर मेरे उभारों को घूर कर?
मैं डर गया और कहा- कुछ भी तो नहीं!
तो वो बोली- मैं सब समझती हूँ बेटा! माँ हूँ तेरी!
और यह कह कर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी और कहने लगी- तू भी अपने कपड़े बदल ले, मैं भी अब नहा लेती हूँ!
क्या गाण्ड लग रही थी चलते हुए उनकी! मैं मन ही मन तो उन्हें चोद ही चुका था और आज अच्छा मौका था उन्हें सचमुच में चोदने का! मैं उनसे जाकर पीछे से लिपट गया। माँ एकदम से घबरा गई। मैंने कहा- माँ सॉरी! मैं ऐसा कुछ नहीं देख रहा था जो आप सोच रही हो!
माँ से चिपकते ही मेरा लंड फुन्कारे मारने लगा था और इसका एहसास मेरी माँ को भी हो गया था क्योंकि उस समय मेरा लंड उनकी दरार में रगड़ मारने लगा था। शायद माँ समझ गई थी कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ। उन्होंने कहा- चल छोड़ मुझको! मैं तो बस मजाक कर रही थी!
शायद वो भी काफी दिनों से चुदासी थी इसलिए चुदवाना भी चाहती थी और उन्होंने मुझे पीछे से हटाकर अपनी छाती में समा लिया। मैं तो उनके वक्ष में खो ही गया था।
क्या स्तन थे उनके! मन तो कर रहा था कि दबा कर सारा दूध निकल लूँ!
फिर वो बोली- चल, अब जा! कपड़े बदल ले! मैं भी नहा लूँ! तब वो बाथरूम में चली गई।
मैं कहाँ मानने वाला था, उनके बाथरूम में जाने के बाद मैं उन्हें बाथरूम में देखने लगा दरवाज़े के छेद मैं से! …..उन्होंने अपने धीरे-धीरे कपड़े उतारे। शायद उन्हें पता लग गया था कि मैं उन्हें छेद में से देख रहा हूँ और वो धीरे धीरे अपनी चूचियाँ दबाने लगी और सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह्म्म्मम्म ओह माय गोशह्ह्ह्ह आह्ह्ह अहा ओह्ह्ह और अपनी चूत में भी ऊँगली डालने लगी। वो यह सब कुछ मुझे दिखा रही थी जानबूझ कर! और मैं भी बाहर खड़ा होकर अपना लंड दबा रहा था।
क्या आवाजें थी- हम्म ओह्ह्ह होऊस्स्स ओह …..मैं बाहर सब सुन रहा था पर कुछ नहीं बोला! मन तो कर रहा था कि दरवाज़ा खोल कर अन्दर घुस जाऊँ!
इतने में उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- अरे मेरे कपड़े तो बाहर ही रह गए! जरा देना बेटा!
मैं घबरा गया और वहाँ से बाहर के कमरे में आ गया और डरते हुए पूछा- कहाँ हैं कपड़े?
वो बोली- वहीं पर मेज पर रखे हैं!
मैं बोला- ठीक है। लाता हूँ!
वहाँ पर उनकी लाल रंग की ब्रा और चड्डी के साथ लाल रंग का गाउन रखा हुआ था। मानो जन्नत!
और फिर माँ को देने के लिए बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी माँ जोर से चिल्लाई- क्या कर रहा है? इतनी देर हो गई तुझे? कहाँ मर गया? मैं बोला- ला तो रहा हूँ!
मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं उन्हें कपड़े देने लगा, उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला और कपड़े ले लिए। मेरा मन किया कि मैं भी घुस जाऊँ! क्या पता बात बन ही जाये!
और दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया। माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी। मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा।
वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है?
उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए? पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा।
और इसके बाद तो शायद माँ को भी लगा कि अब इसने इतना कुछ कर लिया है तो अब क्या रोकूँ इसे, क्योंकि वो भी तो सेक्स करने के लिए तड़प रही थी इतने दिनों से!
और माँ सिसकारी भरने लगी- उह्ह्ह ह़ा हाह आःह्ह्ह जालिम शर्म कर! मैं तेरी माँ हूँ! कम से कम मुझे तो बख्श दे! शर्म कर थोड़ी!
तो मैंने कहा- माँ, आप बहुत सेक्सी हो! मैं तो आपको कब से चोदने की फ़िराक में था! आज मौका मिला है तो कैसे हाथ से जाने दूँ? आज मत रोको! समा जाने दो मुझको तुम्हारे अन्दर! नहीं तो मैं मर जाऊंगा माँ!
तो वो बोली- अच्छा ठीक है कम्बखत ! अब तुझे क्या कहूँ? कुछ कहने लायक नहीं छोड़ा तूने तो! जो करना है कर लेना! पर अभी बाहर जा! मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूँ!
और मैं बाहर आ गया। कुछ देर बाद वो भी बाथरूम से बाहर आ गई और अपने कमरे में चली गई। तब तक मैं भी अपने कमरे में जा चुका था। करीब आधा घंटा हो चुका था इस बात को।
मैं भी काफी शर्म महसूस कर रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न माँ को जाकर सॉरी कह दूँ!
मैं उनसे माफ़ी मांगने उनके कमरे की तरफ जाने लगा, पर जैसे ही मैं उनके कमरे में पहुँचा तो वो तो सज-धज कर खड़ी हुई थी बिल्कुल 25 साल की लड़की की तरह लग रहा थी। उनके बड़े बड़े स्तन मानो कह रहे थे- आओ और हमें खा जाओ! उनका यह रूप देख कर लग रहा था जैसे कि आज मानो उनकी सुहागरात हो!
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। शायद माँ को चुदवाने की हुड़क चढ़ चुकी थी, वो कहने लगी- इधर आ! मुझे तुझसे कुछ बात करनी है!
मैंने कहा- माँ सॉरी! प्लीज पापा से मत कहना!
और मैं उनकी छाती से चिपट कर रोने का नाटक करने लगा। क्या खुशबू आ रही थी उनके वक्ष से!तो उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा जो हुआ उसे भूल जा! और एक बात बता कि क्या मैं तुझे इतनी जवान लगती हूँ कि तुझे इतनी भी शर्म नहीं आई और तूने ऐसा कर दिया?
मैंने कहा- गलती हो गई माँ…
वो बोली- चल ठीक है, कोई बात नहीं! अच्छा एक बात बता, तू क्या फिर से मुझे ?
मैंने कहा- नहीं!
तो वो बोली- चल पगले! इतनी मेहनत से तैयार हुई हूँ मैं और तू मना कर रहा है ? अब इस आग को तो तू ही बुझाएगा मेरे राजा! चोद डाल मुझे । फाड़ दे मेरी निकाल दे आज सारी जलन मेरी
और उन्होंने मुझे अपने वक्ष में दबा लिया और कहने लगी- पी ले सारा दूध इनका! कुछ मत छोड़ इनमें! समा जा मेरे अन्दर!
मैं भी मन ही मन खुश हो गया और कहने लगा- मेरा तो जैकपॉट लग गया है आज!
मेरी मुराद पूरी हो रही थी एक ही दिन में दो बार! मैंने कहा- ठीक है माँ! आप इतना कहती हैं तो!मैं उनकी चूचियाँ दबाने और चूसने लगा ब्लाऊज़ के ऊपर से ही।
तो वो बोली- अब तो मैं पूरी तेरी हूँ, जो करना है वो कर ना।
मैंने कहा- ऐसे नहीं! जैसे टीवी पर, फिल्मो में दिखाते हैं, धीरे-धीरे!
तो वो बोली- अच्छा तो तू ये सब चीजें भी देखता है?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या ? माँ, अब मैं बड़ा हो गया हूँ न इसलिए!
वो बोली- ठीक है, मैं तो पहले से तैयार हूँ, तू भी तैयार हो जा!
वो तो तैयार बैठी थी, टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी।
मैंने कहा- माँ, यह क्या है?
वो बोली- अब क्या करूँ? तेरे पापा तो काम से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं, तो मुझे भी तो अपनी प्यास बुझानी होती है न।
तो मैं बोला- अब आगे से जब भी पापा बाहर जाएंगे तो मैं आपको चोदूँगा! मैं आपका छोटा पति!
वो बोली- अरे हाँ हाँ! मेरे स्वामी अब तो आप भी मेरे दूसरे स्वामी हो।और मैंने उनको उठाया और उनसे इस तरह चिपक गया जैसे दो जान एक शरीर! मैंने उनको ऊपर से नीचे तक इतना चूसा कि वो कहने लगी- अब डाल दे लौड़ा मेरी चूत में जालिम। अब छोड़ मेरे चूचे! डाल दे अब मेरी चूत में! फाड़ दे मेरी चूत! अब नहीं रुका जाता।
मैंने कहा- अरे इतनी जल्दी क्या है माँ! थोड़ा रुक! तुमसे ज्यादा तो मैं प्यासा हूँ। आज तो मैं तुम्हें इतना चोदूंगा कि तुम आगे से कभी भी पापा के साथ सेक्स करना पसंद नहीं करोगी।
वो बोली- हम्म! तू तो बड़ा ज़ालिम है बेटा! इस चूत पर हक तो तेरे पापा का ही है। इस मकान में तो तू केवल किरायेदार है बेटा!
मैंने बोला- हम्म वो तो है…और मैंने उनको अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और सबसे पहले उनके होंटों को कम से कम दस मिनट तक चूसता रहा और बीच बीच में उनकी चूत भी साड़ी के ऊपर से सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी।
मैंने धीरे धीरे उनके कपड़े उतारे और लगभग पूरी नंगी कर दिया, केवल ब्रा और पैंटी रह गई थी वो भी लाल रंग की।
मैंने कहा- तुम तो इतनी खूबसूरत हो कि मैं तुम्हें रोजाना इतना चोदूँ,
तो वो बोली- तो चोद ना साले! मैं तो मरी जा रही हूँ कबसे! अब तो मैं पूरी तेरी ही हूँ! जब चाहे तब चोद मैंने कब मना किया है
मैं उनकी ब्रा उतारने लगा और इतने में उन्होंने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया, उसके साथ खेलने लगी, कहने लगी- बाथरूम में तो इसकी लम्बाई ढंग से नहीं नाप पाई, पर यहाँ पर तो इसको पूरा खा जाऊंगी!
दस मिनट तक उन्होंने मेरे लौड़े को चूसा होगा। मेरा लंड भी अब पूरे उफान पर था और फाड़ देना चाहता था माँ की चूत को। जिस बात का मुझे इतनी दिनों से इंतज़ार था वो सपना पूरा होने वाला था। माँ के दोनों संतरे मानो ऐसे लग रहे थे जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे! मैंने कहा- माँ, इनको तो मैं खा जाऊंगा।
माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। और मैंने अपना लंड माँ की चूत में बाड़ दिया और फिर चालू हुआ माँ-बेटे की चुदाई का कार्यक्रम! वो बीच बीच में इतनी तेज चिल्ला रही थी, कह रही थी- बेटा चोद दे आज अपनी माँ को! घुस जा पूरा इसके अन्दर! फाड़ डाल इसको। ह्म्मम्म हाआअहाह उह्ह्हह ह्म्म्म मैं तो मर जाऊँगी… उह ह्म्मम्म उह्ह्ह….और मैंने तेज-तेज झटके लगाने चालू कर दिए। कम से कम आधे घंटे चूत मारने के बाद मैंने कहा- माँ, अब घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारी गांड मारूँगा।
तो माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी और कहा- तुम मर्द लोगों को गांड में ऐसा क्या मजा आता है?
मैंने कहा- माँ गांड और चूचियाँ ही तो तुम्हारी जान है! और तुम कह रही हो कि क्या मजा आता है? इनको देख कर तो मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और इन्हीं चीजों को लेकर तुम औरतें इतना इतराती हो। उन्होंने एक सेक्सी सी मुस्कुराहट दी और गांड को सेक्सी तरीके से हिलाने लगी। मैंने धीरे-धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। बहुत आनन्द आ रहा था मुझे गांड मारने में। मम्मी भी, जब तक मैं नहीं झड़ गया, तब तक चुदती रही और मेरा पूरा साथ दिया.
मैं झड़ चुका था और माँ भी…तो माँ ने कहा- रुको, अब थोड़ा आराम कर लो बेटा!
मैंने कहा- हाँ माँ! मैं भी बहुत थक गया हूँ…
तो वो बोली- चल तू यहीं रुक! मैं तेरे लिए दूध लाती हूँ…
माँ जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, मैंने फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया और चूसने लगा और कहा- मेरा पैष्टिक दूध तो यह रहा माँ! तुम तो मुझे बचपन में यही दूध पिलाती थी ना!
तो वो बोली- अरे! तू नहीं सुधरेगा! थोड़ी देर भी नहीं इंतज़ार कर सकता?
मैंने कहा- माँ, ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा? आज के बाद पता नहीं कब मौका मिलेगा!
और मैंने दूध मुंह में भर लिए और मां गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगी। मेरा लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था तो मैंने कहा- माँ यह तो फिर से खड़ा हो गया!
तो वो बोली- तो देर किस बात की? आ जा एक बार फिर! मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थी और मैं भी उन्हें काफी उछल-उछल कर चोद रहा था। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था, वो काम की देवी लग रही थी।
माँ ने कहा- लगता है जिन्दगी भर की चुदाई आज ही कर डालोगे!
मैंने कहा- और नहीं तो क्या!
और मैंने तेज-तेज झटके मारने चालू कर दिए और सारा कमरा फिर से आवाजों से गूंजने लगा। उस रात मैंने उनको दो बार और चोदा।
अगली सुबह मेरी आँख दोपहर को तीन बजे खुली। मैं उठा और अपने कमरे में जाने लगा पर जैसे ही मैं बाहर आया, माँ झाड़ू लगा रही थी। उन्होंने गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था वो उस समय झुकी हुई थी। मैं पीछे से चुपचाप गया और उनकी गांड के छेद पर अपना लंड लगा दिया।
वो बोली- जगा गया मेरे राजा! चल अब नहा धो ले! फिर खाना खा ले!
मैंने कहा- ठीक है पर एक ट्रिप लेने के बाद!
मैंने उनको एक बार फिर से चोदा। अब जब तक पापा नहीं आ जाते, मैं उन्हें रोजाना चोदने वाला था। फिर से पूरा घर सेक्सी आवाजों से गूंज गया और फिर से एक बार हम दोनों माँ-बेटे पति-पत्नी बन गए।
काफ़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया और माँ भी… तो माँ ने कहा- पड़ गई तुझे शांति! तो जा अब नहा ले! मैंने कहा- ठीक है। और रात भी मैंने मा को 2 बार फिर से चोदा.
अब मुझे यह बताओ कि आपको यह कहानी कैसे लगी। maakirasilibur@gmail.com
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